कश्ती का खामोश सफ़र है, शाम भी है तनहाई भी
दूर किनारे पर बजती है लहरों की शहनाई भी
आज मुझे कुछ कहना है
दूर किनारे पर बजती है लहरों की शहनाई भी
आज मुझे कुछ कहना है
लेकिन ये शर्मीली निगाहें मुझको इजाज़त दें तो कहूँ
खुद मेरी बेताब उमंगें थोड़ी फ़ुर्सत दें तो कहूँ
आज मुझे कुछ कहना है
खुद मेरी बेताब उमंगें थोड़ी फ़ुर्सत दें तो कहूँ
आज मुझे कुछ कहना है
जो कुछ तुमको कहना है, वो मेरे ही दिल की बात न हो
जो है मेरे ख़्वाबों की मंज़िल, उस मंज़िल की बात न हो
कहते हुए डर सा लगता है, कह कर बात न खो बैठूँ
ये जो ज़रा सा साथ मिला है, ये भी साथ न खो बैठूँ
कब से तुम्हारे रस्ते में मैं फूल बिछाये बैठी हूँ
कह भी चुको जो कहना है मैं आस लगाये बैठी हूँ
ये जो ज़रा सा साथ मिला है, ये भी साथ न खो बैठूँ
कब से तुम्हारे रस्ते में मैं फूल बिछाये बैठी हूँ
कह भी चुको जो कहना है मैं आस लगाये बैठी हूँ
दिल ने दिल की बात समझ ली, अब मुँह से क्या कहना है
आज नहीं तो कल कह लेंगे, अब तो साथ ही रहना है
कह भी चुको जो कहना है
छोड़ो अब क्या कहना है
Very thankful that you posted rare songs by Sahir Saab! Thank you so much. Wish you the very best.
ReplyDeleteमेरे सबसे पसंदीदा गीतोंमेंसे एक. ऐसे अर्थपूर्ण बोल लिखनेवाले गीतकार,शायर अब नहीं है. ऐसी सुरीली आवाजें भी नहीं रही. "विकास"की दौडने हमसे सुकुन छीन लिया है.
ReplyDelete