ना
धेला लगता है, ना पैसा लगता है
चढ़
के देखो जी, ये झूला कैसा लगता है
बिना
कलों के जुड़ने वाला,बिना परों के उड़ने वाला
सारों
झूलों से आला ये झूला, जो भी झूला वो सब दुख भूला
ना
जैसा कुछ भी हो, ये वैसा लगता है
चढ़
के देखो जी, ये झूला कैसा लगता है
जो
कोई छूना चाहे तारों को, मस्का लगाए जरा यारों को
बातें
बनाए थोड़ा मुस्का के, झूले की डोरी थामे शरमा के
जैसे
दो बाहें हो, ये वैसा लगता है
चढ़
के देखो जी, ये झूला कैसा लगता है
बांके
हसीनों पे ये मरता है, प्यारों से प्यार सदा करता
है
ऐसे
न पीछे हटो डर-डर के, आओ झुला दें तुम्हें जी भर
के
जो
तुम पर आशिक हो, ये वैसा लगता है
चढ़
के देखो जी, ये झूला कैसा लगता है
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