न तू जमीं के लिए है, न आसमां के लिए
तेरा वजूद है अब सिर्फ दास्तां के लिए ।
पलट के सू-ए-चमन देखने से क्या होगा
वो शाख ही ना रही, जो थी आशियां के लिए ।गरज परस्त जहां में वफ़ा तलाश न कर
यह शै बनी थी, किसी दूसरे जहां के लिए ।
[Composer : Laxmikant Pyare Lal, Singer : Md. Rafi; Producer/Director : B.R.Chopra, Artist : Dilip Kumar ]
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