April 22, 2011

चीन ओ अरब हमारा (फिर सुबह होगी-1958) Chin o arab hamara (Phir Subah Hogi-1958)

चीन ओ अरब हमारा, हिन्दोस्तान हमारा
रहने को घर नहीं है, सारा जहां हमारा
चीन ओ अरब हमारा .…

खोली भी छिन गयी है, बेंचें भी छिन गईं हैं
सड़कों पे घूमता है, अब कारवाँ हमारा
जेबें हैं अपनी खाली, क्यों देता वरना गाली
वो संतरी हमारा, वो पासबां हमारा
चीन ओ अरब हमारा …

जितनी भी बिल्डिंगें थीं, सेठों ने बाँट ली हैं
फुटपाथ बंबई के हैं आशियाँ हमारा
होने को हम कलंदर, आते हैं बोरी बन्दर
हर एक कुली यहाँ है राजदा हमारा
चीन ओ अरब हमारा..

तालीम है अधूरी, मिलती नहीं मजूरी
मालूम क्या किसी को, दर्दे निहां हमारा
चीन ओ अरब हमारा…

पतला है हाल अपना, लेकिन लहू है गाडा
फौलाद से बना है, हर नौजवान हमारा
मिल-जुल के इस वतन को, ऐसा सजायेंगे हम
हैरत से मुंह तकेगा, सारा जहां हमारा
चीन ओ अरब हमारा...

[Singer : Mukesh;  Composer : Khayyam;   Producer : Parijat Pictures;  Director: Ramesh Saigal;  Artist : Raj Kapoor ] 


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