अपने अंदर
जरा झांक मेरे वतन
अपने ऐबों को मत ढांक मेरे वतन
रंग और
नस्ल के दायरों से निकल
गिर चुका है बहुत देर अब तो संभल
तू द्राविड़ है या आर्य नस्ल है
जो भी है अब इसी ख़ाक.की फ़स्ल है
तेरे दिल से जो नफरत न मिट पाएगी
तेरे घर में गुलामी पलट आएगी
तेरी बरबादियों का तुझे वास्ता
ढूंढ़ अपने लिए अब नया रास्ता |
अपने ऐबों को मत ढांक मेरे वतन
तेरा इतिहास है खूं में लिथड़ा हुआ,
तू अभी तक है दुनिया में पिछड़ा हुआ
तूने अपनों को अपना न माना कभी
तूने इन्सां को इन्सां न जाना कभी
तेरे धर्मों ने जातों की तकसीम की
तेरी रस्मों ने नफरत की तालीम दी
वहसतों का चलन तुझमें जारी रहा
नफरतों का जुंनू तुझपे तारी रहा
तू अभी तक है दुनिया में पिछड़ा हुआ
तूने अपनों को अपना न माना कभी
तूने इन्सां को इन्सां न जाना कभी
तेरे धर्मों ने जातों की तकसीम की
तेरी रस्मों ने नफरत की तालीम दी
वहसतों का चलन तुझमें जारी रहा
नफरतों का जुंनू तुझपे तारी रहा
गिर चुका है बहुत देर अब तो संभल
तू द्राविड़ है या आर्य नस्ल है
जो भी है अब इसी ख़ाक.की फ़स्ल है
तेरे दिल से जो नफरत न मिट पाएगी
तेरे घर में गुलामी पलट आएगी
तेरी बरबादियों का तुझे वास्ता
ढूंढ़ अपने लिए अब नया रास्ता |
[ Singer : Rafi; Composer :
N.Dutta; Producer : I.A.Nadiadwala; Director : Khalid Akhtar]
साहीर का ये गीत पुराना है लेकिन ऐसा लगता है ये आज की कहानी बता रहा है।
ReplyDeleteWatan bhi jhank sakta hai kya ?
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