जाने क्या तूने कही
जाने क्या मैंने सुनी,
बात कुछ बन ही गयी ॥
तेरी उम्मीद पे जीने से हासिल कुछ नहीं लेकिन
अगर यूँ भी न दिल को आसरा देते तो क्या होता ॥
कौन कहता है कि चाहत पे सभी का हक़ है
तू जिसे चाहे तेरा प्यार उसी का हक़ है ॥
तुम अगर मुझ को न चाहो तो कोई बात नहीं
तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी ॥
इश्क आज़ाद है, हिन्दू न मुसलमान है इश्क
आप ही धर्म, और आप ही ईमान है इश्क ॥
हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक
खुदा करे कि क़यामत हो और तू आये ॥
मैंने जज्बात निभाए हैं उसूलों की जगह
अपने अरमान पिरो लाया हूँ फूलों की जगह ॥
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