July 22, 2011

Some Couplets from the songs of Sahir

मैंने जज्बात निभाए हैं उसूलों की जगह

                जो साज से निकली है वो धुन सबने सुनी है
                जो तार पे गुजरी है इस दिल को पता है

अब उस खेल का जिक्र ही क्या,
वक्त कटा और खेल तमाम

                देखा है जिंदगी को कुछ इतना करीब से
               चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से

उतना ही उपकार समझ कोई जितना साथ निभा दे,
जनम मरण का मेल है सपनाये सपना बिसरा दे,
कोई संग मरे
मन रे ! तू कहे धीर धरे

               जनम का कोई मोल नहीं है
               जनम मनुष का तोल नहीं है
               करम से सबकी है पहचान
               सबको सन्मति दे भगवान

क्या मुल्ला क्या बिरहमन पांडे 
सब हैं इक माटी के भांडे 


               इन्साफ तेरे साथ हैइल्जाम उठा ले
               अपने पे भरोसा हैतो ये दांव लगा ले

मौत आयी तो मर भी लेंगे
मौत से पहले मरना क्या

              गम और खुशी में फर्क महसूस हो जहां,
              मैं दिल को उस मुकाम पे लाता चला गया॥

जिन्दगी भीख में नहीं मिलती,
जिन्दगी बढ़ के छीनी जाती है
अपना हक़  संगदिल जमाने से
छीन पाओ तो कोई बात बने
   
             उस सुबह को हम ही लायेंगे,

            वो सुबह हमीं से आएगी

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