नाजों के पले काँटों पे चले ऐसा भी जहां में होता है
तकदीर के ज़ालिम हाथों से दिल खून के आंसूं रोता है .
नित जिन में चरांगा रहता था
ख़ाक उड़ती है उन ऐवानों में
मखमल पे न जो रखते थे कदम
फिरते हैं वो रेगिस्तानो में ।
चलने का सहारा कोई नहीं
रुकने का ठिकाना कोई नहीं
इस हाल में काम आने वाला
अपना बेगाना कोई नहीं ।
दुनिया में किसी को भी अपनी
क़िस्मत का लिखा मालूम नहीं
सामान हैं लाखों बरसों के
और कल का पता मालूम नहीं ।
[Music: S.D.Burman; Singer : Talat Mahmood; Producer : G.P.Production; Director : Amiya Chakravarty]
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