काबे में रहो या काशी में, निस्बत तो उसी की ज़ात से है
तुम राम कहो के रहीम कहो, मतलब तो उसी की बात से है
तुम राम कहो के रहीम कहो, मतलब तो उसी की बात से है
ये मस्जिद है वो बुतखाना, चाहे ये मानो चाहे वो मानो
मकसद तो है दिल को समझाना, मानो ये मानो चाहे वो मानो
ये शेख़-ओ-बरहमन के झगड़े, सब नासमझी की बाते हैं
हमने तो है बस इतना जाना, चाहे ये मानो चाहे वो मानो
गर जज़्ब-ए-मुहब्बत सादिक हो, हर दर से मुरादें मिलती हैं
मंदिर से मुरादें मिलती हैं, मस्जिद से मुरादें मिलती हैं
काबे से मुरादें मिलती हैं, काशी से मुरादें मिलती हैं
हर घर है उसी का काशाना, चाहे ये मानो चाहे वो मानो
मकसद तो है दिल को समझाना, मानो ये मानो चाहे वो मानो
ये शेख़-ओ-बरहमन के झगड़े, सब नासमझी की बाते हैं
हमने तो है बस इतना जाना, चाहे ये मानो चाहे वो मानो
गर जज़्ब-ए-मुहब्बत सादिक हो, हर दर से मुरादें मिलती हैं
मंदिर से मुरादें मिलती हैं, मस्जिद से मुरादें मिलती हैं
काबे से मुरादें मिलती हैं, काशी से मुरादें मिलती हैं
हर घर है उसी का काशाना, चाहे ये मानो चाहे वो मानो
[Music : N.Dutta; Singer : Mahender Kapoor; Producer : B.R.Chopra; Director : Yash Chopra ]
Sunil ji u have named my son Sahir after Sahir Saab and more so for his one lyric Ye Kiska Lahoo Hai kaun mara.
ReplyDeleteYou are doing a great service by blogging about Sahir Saab