May 27, 2011

रात के राही थक मत जाना (बाबला -1953) Raat ke rahi thak man jana (Babla -1953)

रात के रही थक मत जाना
सुबह की मंजिल दूर नहीं
रात के राही ...

धरती  के  फैले  आँगन  में, पल  दो  पल  है  रात का  डेरा
जुल्म  का  सीना  चीर  के  देखो, झांक  रहा  है  नया  सवेरा
ढलता  दिन  मजबूर  सही, 
चढ़ाता  सूरज  मजबूर  नहीं,  मजबूर  नहीं
थक  मत  जाना, ओ  राही  थक  मत  जाना .

सदियों  तक  चुप  रहने वाले,  अब  अपना  हक़  लेके  रहेंगे
जो  करना  है  खुल  के  करेंगे, जो  कहना  है  साफ़  कहेंगे
जीते  जी  घुट  घुट  कर  मरना
इस  जग  का  दस्तूर  नहीं, दस्तूर  नहीं
थक  मत  जाना, ओ   राही  थक  मत  जाना

टूटेंगी  बोझल  जंजीरे, जागेंगी  सोयी  तकदीरें
लूट  पे  कब  तक  पहरा  देंगी, जंग लगी  खूनी शमशीरें
रह  नहीं  सकता  इस  दुनिया  में,
जो  सब  को  मंजूर  नहीं, मंजूर  नहीं
थक  मत  जाना, ओ  राही  थक  मत  जाना .





[Music : S.D.Burman; Singer : Lata]



May 15, 2011

ये इश्क इश्क है, इश्क इश्क (बरसात की रात -1960) Ye Ishk Ishk hai, Ishk Ishk (Barsaat ki Raat -1960)

ना तो कारवां की तलाश है, ना तो रहबर की तलाश है
मेरे शौके खाना ख़राब को, तेरी रहगुजर की तलाश है.

मेरे ना मुराद जूनून का है इलाज तो कोई मौत है
जो दवा के नाम पे जहर दे उसी चारागर की तलाश है .

तेरा इश्क है मेरी आरज़ू, तेरा इश्क है तेरी  आबरू
तेरा इश्क मैं कैसे छोड़ दूं, मेरी उम्र भर की तलाश है
           दिल इश्क, जिस्म इश्क और जान इश्क है
           ईमान  की जो पूछो तो  ईमान इश्क है
तेरा इश्क मैं कैसे छोड़ दूं, मेरी उम्र भर की तलाश है

जांसोज़ की हालत को जांसोज़ ही समझेगा
मैं शमा से कहता हूँ महफ़िल से नहीं कहता क्योंकि
 ये इश्क इश्क है..

सहर तक सब का है अंजाम है जलकर ख़ाक हो जाना
बने महफ़िल में कोई शमा या परवाना हो जाये क्योंकि
ये इश्क इश्क है..

वहशते दिल रस्नो दार से रोकी न गयी
किसी खंज़र किसी तलवार से रोकी न गए
इश्क मजनूं की वो आवाज़ है, जिस के आगे
कोई लैला किसी दीवार से रोकी न गयी
                                          ये इश्क इश्क है..

वो हँस के अगर मांगे तो हम जान भी दे दें
ये जान तो क्या चीज  है,  ईमान भी दे दें

नाजो  अंदाज से कहते हैं क़ि जीना होगा
जहर भी देते हैं तो कहते हैं क़ि पीना होगा
जब मैं पीता हूँ तो कहते हैं क़ि मरता भी नहीं
जब मैं मरता हूँ तो कहते हैं क़ि जीना होगा
 ये इश्क इश्क है..

मजहब इ  इश्क की हर रस्म कड़ी होती है
हर कदम पे कोई दीवार खड़ी  होती है
इश्क आज़ाद है, हिन्दू न मुस्लमान है इश्क
आप ही धर्म है और आप ही ईमान है इश्क
जिस से आगाह नहीं शेख ओ बरहन दोनों
इस हकीकत का गरजता हुआ ऐलान है इश्क

इश्क न पुच्छे दीं धरम नूं, इश्क न पूछे जातां
इश्क दे हत्थों गर्म लहू विच डूबियाँ लक्ख बराताँ
                                       ये इश्क इश्क है..

राह उल्फ की कठिन है इसे आसान न समझ, क्योंकि
ये इश्क इश्क है..
बहुत कठिन है डगर पनघट की
अब क्या भर लाऊँ मैं जमुना से मटकी
मैं जो चली जल जमुना भरण को
नन्द को छोरो मोहे रोको
अब लाज रखो मेरे घूँघट पट की

जब जब कृष्ण की बंसी बजी निकली राधा सज  से
जान अजान का ध्यान भुला के, लोकलाज को ताज के
बन-बन डोली जनक दुलारी पहन के प्रेम की माला
दर्शन जल की प्यासी मीरा पी गए विष का प्याला
और फिर अर्ज करी क़ि लाज राखो राखो राखो

         अल्लाह और रसूल का फरमान इश्क है
         यानी हदीस इश्क है,  कुरान इश्क है
         गौतम का और मसीहा का अरमान इश्क है
         ये कायनात जिस्म  है, और जान इश्क है
         इश्क सरमद, इश्क ही मंसूर है
         इश्क मूसा, इश्क कोहेतूर है
         खाक को बुत और बुत को देवता करता है इश्क
         इंतिहा ये है के बन्दे को खुदा करता है इश्क
                                   ये इश्क इश्क है..

[Composer : Roshan;   Singer :Md.Rafi, Manna Dey, Asha Bhonsle, Sudha Malhotra, Production House : Shri Vishwabharthi Films;   Director : P.L.Santoshi;  Actor : Bharat Bhushan, Madhu Bala]




चलो इक बार फिर से (गुमराह - 1963) Chalo Ek Baar Phir Se (Gumrah- 1963)

चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ दिल नवाजी की
न तुम मेरी तरफत देखो गलत अंदाज़ नज़रों से
न मेरे दिल के धड़कन लडखडाये मेरी बातों में
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कशमकश का राज़ नज़रों से
चलो इक बार फिर से..

तुम्हें  भी कोई  उलझन  रोकती  है  पेशकदमी  से
मुझे  भी  लोग  कहते  हैं  कि  यह  जलवे  पराये  हैं
मेरे  हमराह  भी  रुस्वाइयां  हैं  मेरे  माझी  की
तुम्हारे  साथ  भी  गुजरी  हुई  रातों  के  साए  हैं
चलो  इक बार  फिर  से ..

तारुफ़  रोग  हो  जाए  तो  उसको  भूलना  बेहतर
ताल्लुक  बोझ  बन  जाए  तो  उसको  तोड़ना  अच्छा
वोह  अफसाना  जिसे  अंजाम  तक  लाना  न  हो  मुमकिन
उसे  इक  खूबसूरत  मोड़  देकर  छोड़ना  अच्छा
चलो  इक  बार  फिर  से ..


[Music : Ravi;  Singer : Mahender Kapoor,   Producer/Director : B.R.Chopra;  Actor : Sunil Dutt, Ashok Kumar, Mala Sinha;  Attribute : Love, Philosophy]




ये रात ये चांदनी फिर कहाँ (जाल -1952) Ye Raat Ye Chandni Phir Kahan (Jaal-1952)

ये रात ये चांदनी फिर हां सुन जा दिल की दास्तां

पेड़ों की शाखों पे सोई-साई चांदनी
तेरे  ख्यालों  में  खोई—खोचांदनी
और  थोड़ी  देर  में  थक  के  लौट जागी
रात  ये बहार  की  फिर  कभी   आएगी
दो  एक  पल  और  है  ये  मां

लहरों  के  होंठो  पे धीमा-धीमा  राग  है
भीगी हवाओं  में ठंडी-ठंडी आग  है
इस  हसीं  आग में  तू   भी जल के देख ले
ज़िन्दगी के गीत  की धुन बदल के देख ले
खुलने दे अब कनों की ज़बां

जाती  बहारें  हैं उठती  जवानियां
तारों  की  छांव में ह ले कहानियां
एक बार चल दिए गर तुझे  पुकार के
लौटकर  आयेंगे  काफिले  बहार  के
आजा  अभी  ज़िन्दगी है वां

[Composer : S.D.Burman, Singer : Hement Kumar;   Producer : Films Arts;  Director : Guru Dutt;  Actor : Dev Anand, Geeta Bali]
 


तख़्त न होगा ताज न होगा (आज और कल -1963) Takht Na Hoga Taaj Na Hoga -(Aaj Aur Kal -1963)

तख़्त न होगा ताज  न होगा, कल था लेकिन आज  न होगा
जिसमें  सब अधिकार न पायें,वो सच्चा स्वराज न होगा .

लाखों की मेहनत पर कब्ज़ा मुठ्ठी भर धनवानों का  
दीन -रम के नाम पे खूनी बंटवारा इंसानों का
जिसका ये इतिहास रहा है अब वो अँधा राज न होगा
जिसमें  सब अधिकार न पायें,  वो सच्चा स्वराज न होगा .

जनता का फरमान चलेगा, जनता की सरकार बनेगी
धरती की बेहक आबादी धरती की हकदार बनेगी
सामन्ती सरकार न होगी पूंजीवाद समाज न होगा
जिसमें  सब अधिकार न पायें, वो सच्चा स्वराज न होगा .

मेहनत पर मजदूर का हक़ है, खेतों पर दहकान का हक़ है
जीने पर पाबंदी क्यों है, जीना हर इंसान का हक़ है
जय हो जनता राज कि जिसमें हुल्लड़ और नियाज़ न होगा
जिसमें  सब अधिकार न पायें, वो सच्चा स्वराज न होगा .

(हाइलाइट किए शब्दों को मैं ठीक से समझ नहीं पाया हूँ | पाठकगण कृपया मदद करें ) 

[Composer : Ravi;  Singer : Rafi, Geeta Dutt;  Production House : Panchdeep Chitra;  Director : Vasant Joglekar;  Actor : Sunil Dutt, Tanuja]




मुझे गले से लगा लो, बहुत उदास हूँ मैं (आज और कल -1963) Mujhe Gale Se Laga Lo, bahut udas hoon main (Aaj aur Kal -1963)

मुझे गले से लगा लो, बहुत उदास हूँ मैं 
गम-ए-जहां से छुड़ा लो बहुत उदास हूँ  मैं

नज़र में तीर से चुभते हैं अब नज़ारों से
मैं थक गई हूँ सभी टूटते सहारों से
अब और बोझ न डालो, बहुत उदास हूँ मैं
गम-ए-जहां से छुड़ा लो, बहुत उदास हूँ मैं

                   बहुत सही ग़म-ए-दुनिया मगर उदास न हो
                   करीब है शब-ए-ग़म की सहर उदास न हो
                   सितम के हाथ की तलवार टूट जाएगी
                   ये ऊँच-नीच की  दीवार टूट जाएगी
                   तुझे कसम है मेरी हमसफ़र उदास न हो

न जाने कब ये तरीका, ये तौर बदलेगा
सितम का, ग़म का, मुसीबत का दौर बदलेगा
मुझे जहाँ से उठा लो, बहुत उदास हूँ मैं
गम-ए-जहां से छुड़ा लो, बहुत उदास हूँ मैं


[Composer : Ravi;  Singer : Rafi, Asha Bhonsle;  Production House : Panchdeep Chitra;   Director : Vasant Joglekar;  Actor : Sunil Dutt, Nanda]

 

तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको (दीदी -1959) Tum mujhe bhool bhi jao, to ye hak hai tumko (Didi-1959)

तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक़ है तुमको
मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है |

मेरे दिल की मेरे जज़बात की कीमत क्या है
उलझे-उलझे से ख्यालात की कीमत क्या है
मैंने क्यूं प्यार किया तुमने न क्यूं प्यार किया
इन परेशान सवालात कि कीमत क्या है
तुम जो ये भी न बताओ तो ये हक़ है तुमको
मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है |

       
ज़िन्दगी सिर्फ़ मुहब्बत नहीं कुछ और भी है
      
ज़ुल्फ़-ओ-रुख़सार की जन्नत नहीं कुछ और भी है
      
भूख और प्यास की मारी हुई इस दुनिया में
       
इश्क़ ही एक हक़ीकत नहीं कुछ और भी है
      
तुम अगर आँख चुराओ तो ये हक़ है तुमको
      
मैंने तुमसे ही नहीं सबसे मुहब्बत की है
     
तुम अगर आँख चुराओ तो ये हक़ है तुमको |

तुमको दुनिया के ग़म-ओ-दर्द से फ़ुरसत ना सही
सबसे उलफ़त सही मुझसे ही मुहब्बत ना सही
मैं तुम्हारी हूँ यही मेरे लिये क्या कम है
तुम मेरे होके रहो ये मेरी क़िस्मत ना सही
और भी दिल को जलाओ ये हक़ है तुमको
मेरी बात और है मैंने तो मुहब्बत की है |

[Note : This is the only song in the movie, which was composed by Sudha Malhotra,  rest were by N.Dutta]

[Composer : Sudha Malhotra,   Singer : Mukesh, Sudha Malhotra;  Actor : Sunil Dutt, Shobha Khote]



बच्चों तुम तकदीर हो कल के हिंदुस्तान की (दीदी - 1959) Bachcho tum taqdeer ho kal ke Hindustan ki (Didi - 1959)

बच्चों तुम तकदीर हो कल के हिंदुस्तान की 
बापू के वरदान की, नेहरु के अरमान की .

आज के टूटे खँडहरों पर तुम कल का देश बसाओगे
जो हम लोगों से न हुआ वो तुम कर के दिखलाओगे
 तुम नन्हीं बुनियादें हो  दुनिया के नए विधान की |

 दीन-धरम के नाम पे कोई बीज फूट का बोए ना
जो सदियों के बाद मिली है वो आज़ादी खोए ना
हर मज़हब से ऊँची है क़ीमत इन्सानी जान की |

फिर कोई जयचन्द न उभरे फिर कोई जाफ़र न उठे
ग़ैरों का दिल ख़ुश करने को अपनों पर खंज़र न उठे
 धन-दौलत के लालच में  तौहीन न हो ईमान की |
नारी को इस देश ने देवी कह कर दासी जाना है
जिसको कुछ अधिकार न हो वो घर की रानी माना है
 तुम ऐसा आदर मत लेना  आड़ हो जो अपमान की |

रह न सके अब इस दुनिया में युग सरमायादारी का
तुमको झंडा लहराना है मेहनत की सरदारी का
तुम चाहो तो  बदल के रख दो क़िस्मत हर इन्सान की |

 
 [Composer : N.Dutta;   Singer : Md.Rafi, Asha Bhonsle;  Actor : Sunil Dutt, Sobha Khote]


 


जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ हैं (प्यासा -1957) Jinhe naaz hai hind pe wo kahan hain (Pyaasa-1957)

ये कूचे, ये नीलाम घर दिलकशी के
ये लुटते हुए कारवां जिंदगी के
कहाँ है, कहाँ है मुहाफ़िज़ खुदी के 
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ हैं
कहाँ है, कहाँ है, कहाँ है …
 
ये पुरपेच गलियां, ये बदनाम बाज़ार
ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकार
ये इस्मत के सौदे, ये सौदे पे तकरार
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ हैं
कहाँ है, कहाँ है, कहाँ है …
 
ये सदियों से बेखौफ़ सहमी सी गलियां
ये मसली हुई अधखिली ज़र्द कलियां
ये बिकती हुई खोखली रंगरलियाँ
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ हैं
कहाँ है, कहाँ है, कहाँ है …

वो उजले दरीचों में पायल की छन-छन
थकी हारी सांसों पे तबले की धन-धन 
ये बेरूह कमरो में खांसी की ठन-ठन 
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ हैं
कहाँ है, कहाँ है, कहाँ है … 

ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे
ये बेबाक नज़रे, ये गुस्ताख फ़िक़रे
ये ढलके बदन और ये बीमार चेहरे
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ हैं
कहाँ है, कहाँ है, कहाँ है …
 
यहाँ पीर भी आ चुके हैं, जवां भी
तनूमन्द बेटे, अब्बा मियां भी 
ये बीवी भी है और बहन भी, माँ भी 
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ हैं
कहाँ है, कहाँ है, कहाँ है …
 
मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी
यशोदा की हम्जिन्स, राधा की बेटी
पयम्बर की उम्मत , जुलेखां की बेटी 
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ हैं
कहाँ है, कहाँ है, कहाँ है …
 
ज़रा इस मुल्क के रहबरों को बुलाओ
ये कूचे ये गलियां ये मंज़र दिखाओ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर उनको लाओ
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ हैं
कहाँ है, कहाँ है, कहाँ है …


[Composer : S.D.Burman;  Singer : Md.Rafi;  Producer/Director : Guru Dutt;   Actor : Guru Dutt]






ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है (प्यासा-1957) Yeh Duniya Agar Mil Bhi Jaaye To Kya Hai (Pyaasa-1957)

ये  महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया,
ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया,
ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

हर इक जिस्म घायल, हर इक रूह प्यासी
निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी
ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

यहाँ इक खिलौना है इसां की हस्ती
ये बस्ती हैं मुर्दा परस्तों  की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

जवानी भटकती हैं बदकार बन कर
जवान जिस्म सजते है बाज़ार बन कर
यहाँ प्यार होता है व्योपार  बन कर
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है 
जहाँ प्यार की कद्र कुछ नहीं है  
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया
जला दो, जला दो, जला दो
जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

[Music : S.D.Burman;  Singer : Md. Rafi;  Producer/Director : Guru Dutt;   Actor : Guru Dutt, Wahida Rehman, Mala Sinha, Rahman]


ये किसका लहू है कौन मरा - धर्मपुत्र (1961) Yeh Kiska Lahu Hai Kaun Mara - Dharmputra (1961)

धरती की सुलगती छाती के बैचेन शरारे पूछते हैं
तुम लोग जिन्हे अपना न सके, वो खून के धारे पूछते हैं
सड़कों की जुबान चिल्लाती है
सागर के किनारे पूछते हैं -
                      ये किसका लहू है कौन मरा 
                      ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
                     ये किसका लहू है कौन मरा.

ये  जलते हुए घर किसके हैं 
ये कटते हुए तन किसके है,
तकसीम  के अंधे तूफ़ान में
लुटते हुए गुलशन किसके हैं,
बदबख्त फिजायें किसकी हैं
बरबाद नशेमन किसके हैं,

कुछ हम भी सुने, हमको भी सुना.

ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा.

किस काम के हैं ये दीन धरम
जो शर्म के दामन चाक करें,
किस तरह के हैं ये देश भगत
जो बसते घरों  को खाक करें,
ये रूहें कैसी रूहें हैं
जो धरती को नापाक करें,

आँखे तो उठा, नज़रें तो मिला.

ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा.

जिस राम के नाम पे खून बहे
उस राम की इज्जत क्या होगी,
जिस दीन के हाथों लाज लूटे
उस दीन की कीमत क्या होगी,
इन्सान की इस जिल्लत से परे
शैतान की जिल्लत क्या होगी,

ये वेद हटा, कुरआन  उठा.

ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा.

 [Music: N.Dutta;  Singer : Mahender Kapoor;    Producer : B.R.Chopra;   Director : Yash Chopra;  Actor : Rajender Kumar, Sashi Kapoor]





चाहे ये मानो चाहे वो मानो (धर्मपुत्र -1961) Chahe Yeh Mano Chahe Woh Mano - (Dharamputra 1961)

काबे में रहो या काशी में, निस्बत तो उसी की ज़ात से है
तुम राम कहो के रहीम कहो, मतलब तो उसी की बात से है
ये मस्जिद है वो बुतखाना, चाहे ये मानो चाहे वो मानो
मकसद तो है दिल को समझाना, मानो ये मानो चाहे वो मानो

ये शेख़--बरहमन के झगड़े, सब नासमझी की बाते हैं
हमने तो है बस इतना जाना, चाहे ये मानो चाहे वो मानो

गर जज़्ब--मुहब्बत सादिक हो, हर दर से मुरादें मिलती हैं
मंदिर से मुरादें मिलती हैं, मस्जिद से मुरादें मिलती हैं
काबे से मुरादें मिलती हैं, काशी से मुरादें मिलती हैं
हर घर है उसी का काशाना, चाहे ये मानो चाहे वो मानो

[Music : N.Dutta;    Singer : Mahender Kapoor;   Producer : B.R.Chopra;  Director : Yash Chopra ]