अब कोई गुलशन ना उजड़े अब वतन आज़ाद है
रूह गंगा की हिमालय का बदन आज़ाद है |
खेतियाँ सोना उगाएं, वादियाँ मोती लुटाएं
आज गौतम की ज़मीं, तुलसी का बन आज़ाद है |
दस्तकारों से कहो, अपनी हुनर मंदी दिखाएं
उंगलियां कटती थीं जिसकी, अब वो फ़न आज़ाद है ।
मंदिरों में शंख बाजे, मस्जिदों में हो अज़ान
शेख का धर्म और दीन-ए-बरहमन आज़ाद है |
लूट कैसी भी हो अब इस देश में रहने न पाए
आज सबके वास्ते धरती का धन आज़ाद है |
[Composer : Jaidev; Singer : Md.Rafi, Producer ; Sunil Dutt; Director ; Moni Bhattacharjee]
[Note on Sahir : The third para was not used in movie. It is taken from 'Gata Jaya Banjara', the collection of songs of Sahir.
रूह गंगा की हिमालय का बदन आज़ाद है |
खेतियाँ सोना उगाएं, वादियाँ मोती लुटाएं
आज गौतम की ज़मीं, तुलसी का बन आज़ाद है |
दस्तकारों से कहो, अपनी हुनर मंदी दिखाएं
उंगलियां कटती थीं जिसकी, अब वो फ़न आज़ाद है ।
मंदिरों में शंख बाजे, मस्जिदों में हो अज़ान
शेख का धर्म और दीन-ए-बरहमन आज़ाद है |
लूट कैसी भी हो अब इस देश में रहने न पाए
आज सबके वास्ते धरती का धन आज़ाद है |
[Composer : Jaidev; Singer : Md.Rafi, Producer ; Sunil Dutt; Director ; Moni Bhattacharjee]
[Note on Sahir : The third para was not used in movie. It is taken from 'Gata Jaya Banjara', the collection of songs of Sahir.
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