जब
भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग |
याद रहता है किसे गुज़रे ज़माने का चलन
सर्द पड़ जाती है चाहत, हार जाती है लगन
अब मोहब्बत भी है क्या इक तिजारत के सिवा
हम ही नादां थे जो ओढ़ा बीती यादों का क़फ़न
वरना जीने के लिए सब कुछ भुला देते हैं लोग |
जाने वो क्या लोग थे जिनको वफ़ा का पास था
दूसरे के दिल पे क्या गुज़रेगी ये एहसास था
अब हैं पत्थर के सनम जिनको एहसास ना गम
वो ज़माना अब कहाँ जो अहल-ए-दिल को रास था
अब तो मतलब के लिए नाम-ए-वफ़ा लेते हैं लोग |
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग |
याद रहता है किसे गुज़रे ज़माने का चलन
सर्द पड़ जाती है चाहत, हार जाती है लगन
अब मोहब्बत भी है क्या इक तिजारत के सिवा
हम ही नादां थे जो ओढ़ा बीती यादों का क़फ़न
वरना जीने के लिए सब कुछ भुला देते हैं लोग |
जाने वो क्या लोग थे जिनको वफ़ा का पास था
दूसरे के दिल पे क्या गुज़रेगी ये एहसास था
अब हैं पत्थर के सनम जिनको एहसास ना गम
वो ज़माना अब कहाँ जो अहल-ए-दिल को रास था
अब तो मतलब के लिए नाम-ए-वफ़ा लेते हैं लोग |
[Composer :
Laxmikant- Pyarelal, Singer : Lata Mangeshkar, Producer/Director : Yash Chopra,
Actor : Sharmila Tagore, Rajesh Khanna]
यह पंक्ति इस प्रकार है-
ReplyDelete"अब हैं पत्थर के सनम जिनको एहसास ना ग़म"
बढ़िया.
अब मोहब्बत भी है क्या इक तिजारत के सिवा
ReplyDeleteहम ही नादां थे जो ओढ़ा बीती यादों का क़फ़न