पर्बतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है
सुरमई उजाला है, चम्पई अंधेरा है ।
दोनों वक़्त मिलते हैं दो दिलों की सूरत से
आसमां ने खुश हो के रँग सा बिखेरा है ।
ठहते-ठहरे पानी में गीत सरसराते हैं
भीगे-भीगे झोंकों में खुशबुओं का डेरा है ।
क्यों न जज़्ब हो जाएं इस हसीं नज़ारे में
रोशनी का झुरमट है मस्तियों का घेरा है ।
अब किसी नज़ारे की दिल को आरज़ू क्यों है
जब से पा लिया तुमको सब जहां मेरा है ।
[Composer : Khayyam, Singer : Md. Rafi, Suman Kalyanpur, Production : Shaheen Art, Director : Nazar, Actor : Wahida Rehman, Kamaljeet]
सुरमई उजाला है, चम्पई अंधेरा है ।
दोनों वक़्त मिलते हैं दो दिलों की सूरत से
आसमां ने खुश हो के रँग सा बिखेरा है ।
ठहते-ठहरे पानी में गीत सरसराते हैं
भीगे-भीगे झोंकों में खुशबुओं का डेरा है ।
क्यों न जज़्ब हो जाएं इस हसीं नज़ारे में
रोशनी का झुरमट है मस्तियों का घेरा है ।
अब किसी नज़ारे की दिल को आरज़ू क्यों है
जब से पा लिया तुमको सब जहां मेरा है ।
[Composer : Khayyam, Singer : Md. Rafi, Suman Kalyanpur, Production : Shaheen Art, Director : Nazar, Actor : Wahida Rehman, Kamaljeet]
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