खुदा-ए-बर्तर
तेरी
ज़मीं
पर, ज़मीं की खातिर ये जंग क्यों हो
हर एक फ़तह-ओ-ज़फ़र के दामन पे खून-ए-इंसा रंग क्यों है
खुदा-ए-बर्तर ...
ज़मीं भी तेरी हैं हम भी तेरे, ये मिल्कियत का सवाल क्या है
ये कत्ल-ओ-ख़ूँ का रिवाज़ क्यों है, ये रस्म-ए-जंग-ओ-जदाल क्या है
जिन्हे तलब है जहान भर की, उन्हीं का दिल इतना तंग क्यों है ।
ग़रीब माँओ शरीफ़ बहनों को अम्न-ओ-इज़्ज़त की ज़िंदगी दे
जिन्हे अता की है तू ने ताक़त, उन्हे हिदायत की रोशनी दे
सरों में किब्र-ओ-ग़ुरूर क्यों हैं, दिलों के शीशे पे ज़ंग क्यों है ।
क़ज़ा के रस्ते पे जाने वालों को बच के आने की राह देना
दिलों के गुलशन उजड़ न जाए, मुहब्बतों को पनाह देना
जहां में जश्न-ए-वफ़ा के बदले, ये जश्न-ए-तीर-ओ-तफ़ंग क्यों है ।
[ Composer : Roshan; Singer : Lata Mangeshkar, Actor : Beena Roy]
हर एक फ़तह-ओ-ज़फ़र के दामन पे खून-ए-इंसा रंग क्यों है
खुदा-ए-बर्तर ...
ज़मीं भी तेरी हैं हम भी तेरे, ये मिल्कियत का सवाल क्या है
ये कत्ल-ओ-ख़ूँ का रिवाज़ क्यों है, ये रस्म-ए-जंग-ओ-जदाल क्या है
जिन्हे तलब है जहान भर की, उन्हीं का दिल इतना तंग क्यों है ।
ग़रीब माँओ शरीफ़ बहनों को अम्न-ओ-इज़्ज़त की ज़िंदगी दे
जिन्हे अता की है तू ने ताक़त, उन्हे हिदायत की रोशनी दे
सरों में किब्र-ओ-ग़ुरूर क्यों हैं, दिलों के शीशे पे ज़ंग क्यों है ।
क़ज़ा के रस्ते पे जाने वालों को बच के आने की राह देना
दिलों के गुलशन उजड़ न जाए, मुहब्बतों को पनाह देना
जहां में जश्न-ए-वफ़ा के बदले, ये जश्न-ए-तीर-ओ-तफ़ंग क्यों है ।
[ Composer : Roshan; Singer : Lata Mangeshkar, Actor : Beena Roy]
यह अमर गीत यहाँ देने के लिए आभार.
ReplyDeleteसाहिर सच में जंग के विरोधी थे।
ReplyDeleteJung duniya ki zarurat thi hai rahegi jung hone ki khas wajha Haqq 1 aadmi Chhinta hai jung hoti hai 1 aadmi mangta hai jung nahi hoti haqqdar ka haqq dedo kabhi jung nahi hogi
ReplyDeleteJinhen tlb hai jahan bhr ki unhi ka dil itna tng kyun hai
ReplyDeleteSahir zindgi k pairokar the har lamhe ko jeene ka paigham tha unki shayri mein
जंग किसी समस्या का हल नहीं होता।
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