जुर्म-ए-उल्फ़त
पे हमें लोग सज़ा देते हैं
कैसे नादान हैं, शोलों को हवा देते हैं ।
हम से दीवाने कहीं तर्क-ए-वफ़ा करते हैं
जान जाये के रहे, बात निभा देते हैं ।
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तोलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं ।
तख़्त क्या चीज़ है और लाल-ओ-जवाहर क्या है
इश्क़ वाले तो खुदाई भी लुटा देते हैं ।
हमने दिल दे भी दिया एहद-ए-वफ़ा ले भी लिया
आप अब शौक़ से दे दें, जो सज़ा देते हैं ।
[Composer : Roshan; Singer : Lata Mangeshkar; Artist : Beena Roy, Pradeep Kumar]
कैसे नादान हैं, शोलों को हवा देते हैं ।
हम से दीवाने कहीं तर्क-ए-वफ़ा करते हैं
जान जाये के रहे, बात निभा देते हैं ।
आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तोलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं ।
तख़्त क्या चीज़ है और लाल-ओ-जवाहर क्या है
इश्क़ वाले तो खुदाई भी लुटा देते हैं ।
हमने दिल दे भी दिया एहद-ए-वफ़ा ले भी लिया
आप अब शौक़ से दे दें, जो सज़ा देते हैं ।
[Composer : Roshan; Singer : Lata Mangeshkar; Artist : Beena Roy, Pradeep Kumar]
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