June 14, 2012

जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं (ताज महल - 1963) Jurm e ulfat pe hame log sajaa dete hain (Taj Mahal - 1963)

जुर्म--उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं
कैसे नादान हैं, शोलों को हवा देते हैं ।

हम से दीवाने कहीं तर्क-ए-वफ़ा करते हैं
जान जाये के रहे, बात निभा देते हैं ।

आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तोलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं ।

तख़्त क्या चीज़ है और लाल--जवाहर क्या है
इश्क़ वाले तो खुदाई भी लुटा देते हैं ।

हमने दिल दे भी दिया एहद--वफ़ा ले भी लिया
आप अब शौक़ से  दे दें, जो सज़ा देते हैं ।

[Composer : Roshan;  Singer : Lata Mangeshkar; Artist : Beena Roy, Pradeep Kumar]

No comments:

Post a Comment