January 24, 2017

‘साहिर के बहाने’ कार्यक्रम में भाग लेते साहित्यकार

सुनील भट्ट की पुस्तक साहिर लुधियानवी-मेरे गीत तुम्हारे पर किया मंथन


कथाकार मुकेश नौटियाल ने कहा कि मुख्य धारा का हिन्दी साहित्य सिनेमा और उसके गीत संगीत को महज मनोरंजन का माध्यम मानकर उपेक्षित समझता रहता है, लेकिन फिल्मे साहित्य का भरपूर उपयोग करती रही हैं। उन्होने हिन्दी सिनेमा जगत के गीतकारों, स्क्रिप्ट लेखकों और फिल्मकारों पर अधिक लिखने की वकालत की। कथाकार नौटियाल रविवार को रेसकोर्स स्थित आफिसर्स ट्रांजिट में धाद साहित्य एकांश द्वारा आयोजित कार्यक्रम साहिर के बहाने…..’ में वक्ता के तौर पर संबोधित कर रहे थे। धाद साहित्य एकांश ने अपने साहित्यिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में सुनील भट्ट की किताब साहिर लुधियानवी- मेरे गीत तुम्हारेगोष्ठी का आयोजन किया गया था। साहिर के बहानेकार्यक्रम में साहित्य संस्कृति और कला प्रेमियों ने हिन्दी गीत और कविता के संसार की बारीकियों से श्रोताओं को अवगत कराया। कथाकार नौटियाल ने सुनील भट्ट की साहिर पर लिखी किताब को जमीन तोड़ने की कोशिश बताते हुये उन्होने हिन्दी सिनेमा जगत के गीतकारों, स्क्रिप्ट लेखकों और फिल्मकारों पर अधिक लिखने की वकालत की।

वरिष्ठ साहित्यकार असीम शुक्ल ने साहिर लुधियानवी द्वारा रचित साहित्य के विविध पक्षों का विश्लेषण करते हुये साहिर लुधियानवी को कालजयी गीतकार बताया। दून लाइबे्ररी के रिसर्च एसोसिएट मनोज पुंजानी ने हिन्दी फिल्मों में गीतों के प्रभाव को उकेरते हुए साहिर सहित उन तमाम गीतकारों को याद किया जिन्होने अपने अर्थपूर्ण गीतों से श्रोताओं का सम्मान हासिल किया।

रचनाकार सुनील भट्ट ने इस किताब को लिखने के दरमियान हासिल अनुभवों तथा साहिर के गीतों के सामाजिक तथा राजनीतिक सन्दर्भो पर विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम में अर्चना राय हरेन्द्र परिहार और जन संवाद समिति के सांस्कृतिक दल ने साहिर लुधियानवी के गीतों की संगीतमय प्रस्तुति दी।

धाद साहित्य एकांश की सचिव कल्पना बहुगुणा ने सभी आगंतुको का स्वागत करने के साथ ही कहा कि धाद साहित्य एकांश भविष्य में भी इस तरह के आयोजन करता रहेगा। ,अपने सम्बोधन में संस्था के तन्मय ममगाईं ने कहा 20-21 मार्च को देहरादून में बाल-साहित्य पर बड़ा विमर्श आयोजित किया जा रहा है जिसमें भोपाल, दिल्ली, लखनऊ उत्तराखण्ड से उन तमाम साहित्यकारो को बुलाया जा रहा है जिन्होने नई पीढ़ी को सृजनशील बनाने के लिये कुछ अनूठे प्रयोग किये हैं।कार्यक्रम का संचालन करते हुये अवनीश उनियाल ने कहा कि इस तरह के आयोजन समाज में निरन्तर खत्म होती संवेदनशीलता को बचाये रखने के लिये अत्यन्त आवश्यक है।कार्यक्रम में उपस्थिति डा. जयंत नवानी, लोकेश नवानी, नीलम प्रभा वर्मा, सुनीता चैहान, कांता घिल्डियाल, सविता जोशी, नवीन नौटियाल, शांति प्रकाश जिज्ञासु, अंबर खरबन्दा, विजय जुयाल, शोभा रतूडी, डा0 माधुरी बडथ्वाल, दिनेश डबराल, बीना कण्डारी, धिरेन्द्र ध्यानी, डा0 राकेश बलुनी, डा0 रामविनय, रविन्द्र नेगी, तन्मय ममगांई, इन्द्र सिंह नेगी, सतीष बंसल, सुरेन्द्र पुण्डिर, कपिल डोभाल, जितेन भारती, ज्ञानेन्द्र कुमार, बच्चीराम कन्सवाल, सोमवारीलाल उनियाल, संगीता शाह, नदीम बर्नी, सन्तोष डिमरी, बृजमोहन उनियाल, विकास बहुगुणा, डा0 रचना नौटियाल, साकेत रावत आदि उपस्थित थे।


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