April 23, 2014

आज इस दर्जा पिला दो, के न कुछ याद रहे (वासना -1968) Aaj is darja pila do, ke an kuchh yaad rahe (Vaasna-1968)

आज इस दर्जा पिला दो, के कुछ याद रहे
बेख़ुदी इतनी बढ़ा दो, के न कुछ याद रहे |

दोस्ती क्या है, वफ़ा क्या है, मुहब्बत क्या है
दिल का क्या मोल है, एहसास की कीमत क्या है
हमने सब जान लिया है, के हक़ीक़त क्या है
आज बस इतनी दुआ दो के न कुछ याद रहे |

मुफ़लिसी देखी, अमीरी की अदा देख चुके
ग़म का माहौल, मुसर्रत की फ़िज़ा देख चुके
कैसे फिरती है ज़माने की हवा देख चुके
शम्मा यादों की बुझा दो, के न कुछ याद रहे |

इश्क़ बेचैन ख़्यालों के सिवा के कुछ भी नहीं
हुस्न बेरूह उजालों के सिवा कुछ भी नहीं
ज़िंदगी चंद सवालों के सिवा कुछ भी नहीं
हर सवाल ऐसे मिटा दो के न कुछ याद रहे |

मिट न पाएगा जहां से कभी नफ़रत का रिवाज
हो न पाएगा कभी रूह के ज़ख़्मों का इलाज
सल्तनत ज़ुल्म, ख़ुदा वहम, मुसीबत है समाज
ज़ेहन 
को ऐसे सुला दो के कुछ याद रहे |
 
[Singer: Md. Rafi, Composer : Chitragupta, Producer : Kuljit Pal; Director : T.Prakash Rao, Actor : Rajkumar]

5 comments:

  1. बहुत खूब. बहुत मुश्किल सवालों के जवाब देता एक मधुर गीत. आभार.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Waah uncle.. Apki baat sau aane sach hai 🙏

      Delete
  2. jhinjhoRne waale bol Sahir Saab ke....

    ReplyDelete
  3. Sahir Ishwar ke bahoot kareeb the isliye unke shabdo mei jadoo hain.

    ReplyDelete
  4. बरसों से इस गाने को बार-बार सुनता आया हुं... जी भरता ही नहीं... और एक बार सुनने को जी करता है... मैं कभी नशा नहीं करता... सीधा सादा इन्सान होते हुए भी क्युं यह गाना इतना अच्छा लगता है ? चित्र गुप्त/साहिर/रफी... किसको नंबर वन करार दूं ? ... शायद... चित्र गुप्त... क्युं कि... साहिर -रफी बेमिसाल होते हुए भी... तर्ज ज्यादा नंबर ले जाती है... शायद...

    ReplyDelete