April 24, 2014

लोग औरत को फकत एक जिस्म समझ लेते हैं (इंसाफ का तराजू -1980) Log aurat ko fakat ek jism samajh lete hain (Insaaf ka tarazoo-1980)

लोग औरत को फकत एक जिस्म समझ लेते हैं
रूह भी होती है उसमें ये कहाँ सोचते हैं ।

रूह क्या होती है, इससे उन्हें मतलब ही नहीं
वो तो बस तन के तक़ाज़ों का कहा मानते हैं
इस हकीकत समझते हैं, न पहचानते हैं  ।

कितनी सदियों से ये वहसत का चलन जारी है
कितनी सदियों से है कायम, ये गुनाहों का रिवाज़
लोग औरत की हर चीख को नगमा समझे
वो कबीलों का जमाना हो, कि शहरों का समाज । 
जब्र से नस्ल बढ़े, जुल्म से तन मेल करे 
ये अमल हमने है, बेइल्म परिंदों में नहीं 
हम जो इंसानो की तहजीब लिए फिरते हैं 
हम सा वहसी कोई जंगल के दरिंदो में नहीं । 
एक मैं ही नहीं, न जाने कितनी होंगी 
जिनको अब आइना तकने से झिझक आती है 
जिनके ख्वाबों में न सेहरे हैं, न सिन्दूर, न सेज 
राख ही राख है, जो जेहन पे मंडळाती है  । 
एक बुझी रूह, लुटे जिस्म के ढांचे में लिए
सोचती हूँ कि कहाँ जा के  मुक्कदर फोडूं 
मैं न जिन्दा हूँ कि मरने का सहारा ढूँढू
और न मुर्दा हूँ कि जीने के ग़मों से छूटूं  ।
कौन बतलायेगा मुझको,किसे जाके पूंछूं 
जिंदगी पहर के साँचो में ढलेगी कब तक  
कब तलक आँख न खोलगा जमाने का ज़मीर  
जुल्म और जब्र की ये रीत चलेगी कब तक । 
लोग औरत को फकत एक जिस्म समझ लेते हैं  |  

[Composer : Ravinder Jain, Singer : Asha Bhonsle, Producer : B.R.Films, Director : B.R.Chopra, Actor : Zeenat Aman, Raj Babbar]

April 23, 2014

आज इस दर्जा पिला दो, के न कुछ याद रहे (वासना -1968) Aaj is darja pila do, ke an kuchh yaad rahe (Vaasna-1968)

आज इस दर्जा पिला दो, के कुछ याद रहे
बेख़ुदी इतनी बढ़ा दो, के न कुछ याद रहे |

दोस्ती क्या है, वफ़ा क्या है, मुहब्बत क्या है
दिल का क्या मोल है, एहसास की कीमत क्या है
हमने सब जान लिया है, के हक़ीक़त क्या है
आज बस इतनी दुआ दो के न कुछ याद रहे |

मुफ़लिसी देखी, अमीरी की अदा देख चुके
ग़म का माहौल, मुसर्रत की फ़िज़ा देख चुके
कैसे फिरती है ज़माने की हवा देख चुके
शम्मा यादों की बुझा दो, के न कुछ याद रहे |

इश्क़ बेचैन ख़्यालों के सिवा के कुछ भी नहीं
हुस्न बेरूह उजालों के सिवा कुछ भी नहीं
ज़िंदगी चंद सवालों के सिवा कुछ भी नहीं
हर सवाल ऐसे मिटा दो के न कुछ याद रहे |

मिट न पाएगा जहां से कभी नफ़रत का रिवाज
हो न पाएगा कभी रूह के ज़ख़्मों का इलाज
सल्तनत ज़ुल्म, ख़ुदा वहम, मुसीबत है समाज
ज़ेहन 
को ऐसे सुला दो के कुछ याद रहे |
 
[Singer: Md. Rafi, Composer : Chitragupta, Producer : Kuljit Pal; Director : T.Prakash Rao, Actor : Rajkumar]

नज़र से दिल में समाने वाले (सावधान -1964) Nazar se dil me samane wale (Savdhan-1954)

नज़र से दिल में समाने वाले, मेरी मुहब्बत तेरे लिए है
वफ़ा की दुनिया में आने वाले, वफ़ा की दौलत तेरे लिए है ।

खड़ी हूँ तेरे रास्ते में, जवां उम्मीदों के फूल लेकर
महकती जुल्फों, बहकती नज़रों की गर्म जन्नत तेरे लिए है ।

सिवा तेरे आरज़ू के इस दिल में कोई भी आरज़ू नहीं है
हर एक जज्बा, हर एक धड़कन, हर एक हसरत तेरे लिए है ।

मेरे ख्याल के नर्म पर्दों से झांककर मुस्कुराने वाले
 हज़ार ख्वाबों से जो सजी है, वो एक हकीकत तेरे लिए है ।
(Note : The last  para was not used in movie. It is taken from Gata Gaye Banjara, the compilation of Sahir’s songs)

[Composer : Vasant Desai & C. Ramchandra, Singer : Asha Bhonsle, Director: Dattatreya Jagannath Dharmadhikari]

उन्हे खोकर दुखी दिल की दुआ से (अंगारे -1954) Unhe khokar dukhi dil ki (Angarey -1954)

उन्हे खोकर दुखी दिल की दुआ से और क्या मांगू
मैं हैरां हूँ कि आज अपनी वफ़ा से और क्या मांगू ।

गिरेबां चाक है, आँखों में आँसू, लब पे आहें हैं
यही काफी है, दुनिया की हवा से और क्या मांगू ।

मेरी बरबादियों की दास्तान उन तक पहुँच जाये
सिवा इसके मुहब्बत के खुदा से और क्या मांगू ।

[Composer : S.D.Burman, Singer : Lata Mangeshkar, Actor : Nargis]

 

किसी ने नज़र से नज़र जब मिला दी (हमसफ़र - 1953) Kisi ne nazar se nazar jab mila di (Hamsafar -1953)

किसी ने नज़र से नज़र जब मिला दी
मेरी जिंदगी हाँ, यूँ मुस्कुरा दी ।

जुबां से तो कम कुछ न बोले थे  लेकिन
निगाहों ने दिल की कहानी सुना दी ।

हर एक सांस मस्ती में डूबी हुई है
खुद जाने सकी ने क्या शै पिला दी ।

मेरी सादा दुनिया पे रंग आ गया है
किसी ने ख्यालों की महफ़िल सज़ा दी ।


[Composer : Ustad Ali Akbar Khan, Singer : Talat Mahmood, Asha Bhonsle, Producer : Navketan Films]]