किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है
परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है
परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है
जो दिल की धड़कनें समझे न आंखों की ज़ुबां समझे
नज़र की गुफ़्तगू समझे न जज़्बों का बयां समझे
उसी के सामने उसकी शिक़ायत का इरादा है
सुना है हर जवां पत्थर के दिल में आग होती है
मगर जब तक न छेड़ो, शर्मगी पर्दे में सोती है
ये सोचा है कि दिल की बात उसके रूबरू कह दें
नतीजा कुछ भी निकले आज अपनी आरज़ू कह दें
नज़र की गुफ़्तगू समझे न जज़्बों का बयां समझे
उसी के सामने उसकी शिक़ायत का इरादा है
सुना है हर जवां पत्थर के दिल में आग होती है
मगर जब तक न छेड़ो, शर्मगी पर्दे में सोती है
ये सोचा है कि दिल की बात उसके रूबरू कह दें
नतीजा कुछ भी निकले आज अपनी आरज़ू कह दें
हर इक बेजा तक़ल्लुफ़ से बग़ावत का इरादा है
मुहब्बत बेरुख़ी से और भड़केगी वो क्या जाने
तबीयत इस अदा पे और फड़केगी वो क्या जाने
वो क्या जाने कि अपना किस क़यामत का इरादा है
तबीयत इस अदा पे और फड़केगी वो क्या जाने
वो क्या जाने कि अपना किस क़यामत का इरादा है
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