April 01, 2015

फैली हुई हैं सपनों की बाहें (हाउस न॰ 44) Faili hui hain sapno kii banhen (House no. 44)

फैली हुई हैं सपनों की बाह
आजा चल दें कहीं दूर
वही मेरी मंजिल वहीं तेरी राहें
आजा चल दें कहीं दूर

ऊँची घटा के संग तले छिप जायें 
धुंधली फिजा में कुछ खोये कुछ पायें 
धड़कन की लय पर कोई ऐसी धुन गायें 
दे दे जो दिल को दिल की पनाहें 
आजा चल दें कहीं दूर  

झूला धनक का धीरे धीरे हम झूलें 
अम्बर तो क्या है तारों के भी लब छू लें 
मस्ती में झूमें और सभी ग़म भूलें 
देखें ना पीछे मुड़ के निगाहें 
आजा चल दें कहीं दूर

[Composer : S.D.Burman, Singer : Lata Mangeshkar, Actor : Kalpana Karthik]
 

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