April 21, 2015

रात भर का है मेहमां अँधेरा (सोने की चिड़िया-1958) Raat bhar ka hai mehmaan andhera (Sone ki chidiya -1958)

मौत कभी भी मिल सकती है लेकिन जीवन कल मिलेगा
मरने वाले सोच समझ ले, फिर तुझे ये पल मिलेगा

रात भर का है मेहमां अँधेरा
किसके रोके रुका है सवेरा

रात जितनी भी संगीन होगी
सुबह उतनी ही रंगीन होगी
ग़म कर गर है बादल घनेरा
किसके रोके रुका है सवेरा

लब पे शिकवा ला, अश्क़ पी ले
जिस तरह भी हो कुछ देर जी ले
अब उखड़ने को है ग़म का डेरा
किसके रोके रुका है सवेरा

यूँ ही दुनिया में आकर जाना
सिर्फ़ आँसू बहाकर जाना
मुस्कुराहट पे भी हक़ है तेरा
किसके रोके रुका है सवेरा

कोई मिल के तदबीर सोचें
सुख के सपनों की ताबीर सोचें
जो तेरा है वही ग़म है मेरा
किसके रोके रुका है सवेरा
 

Note - 2nd last stanza was not used in movie. We take it from the collection of Sahir's song,  'Gata Jaye Banjara'

[Composer : O.P.Nayyar,  Singer : Md. Rafi,  Director : Shaheed Latif,  Producer : Ismat Chughtai, Actor : Nutan, Balraj Sahni]
 

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