उस जान-ए-दो-आलम का जलवा
पर्दे में भी है, बेपर्दा भी है
गुस्ताख़ निगाहों का काबा
पर्दे में भी है, बेपर्दा भी है |
बैचेन रहे आशिक की नज़र
थोड़ी सी मगर तस्कीन भी हो
उस पर्दानशीं का ये मंशा
अरे पर्दे में भी है, बेपर्दा भी है |
क्या हुस्न-ए-जमीं, क्या रंग-ए-फ़लक
सब उसके करिश्मों की है झलकतारों में बसा है नूर उसका
फूलों में बसा है रंग उसका
हर रूप में शामिल रूप उसका
हर ढंग में शामिल ढंग उसका
क्या हुस्न-ए-जमीं, क्या रंग-ए-फ़लक
सब उसके करिश्मों की है झलक |
अव्वल भी वही, आखिर भी वही
ओझल भी वही, जाहिर भी वही
मंसूर वही, सरमद भी वही
लाहद भी वही, फरहद भी वही
शोला भी वही, शबनम भी वही
सच ये है कि है खुद हम भी वही
मख़लूक़ से ख़ालिक़ का रिश्ता
पर्दे में भी है, बेपर्दा भी है |
वो मालिक-ए-गुल महबूब मेरा
सुनता है हर इक धड़कन की सदा
जब उसका इशारा होता है
तक़दीर संवरने लगती है
मुद्दत के तरसते ख्वाबों की
ताबीर उभरने लगती है
वो मालिक-ए-गुल महबूब मेरा
सुनता है हर एक धड़कन की सदा |
सजदे में झुका कर सर अपना
मांगे जो कभी इंसान दुआ
हो जाती है हर मुश्किल आसां
मिल जाती है दर्द-ए-दिल की दवा
वो मालिक-ए-गुल महबूब मेरा
सुनता है हर धड़कन की सदा
है उसकी ये खास-ओ-खास अदा
पर्दे में भी है, बेपर्दा भी है |
[Composer : C.Arjun, Singer :Md.Rafi, Manna Dey,
Producer : Satram Rohra, Director : Rajinder Singh Bedi, Actor :
Parikshit Sahni, Rehana Sultan]
No comments:
Post a Comment