February 27, 2013

हम जब चलें तो ये जहानँ झूमे (हम हिंदुस्तानी - 1960) Hum jab chale to ye jahan jhumey (Hum Hindustani-1960)

हम जब चलें तो ये जहानँ झूमे
आरज़ू हमारी आसमाँ को चूमे |

हम नए जहान के पासबाँ
हम नई बहार के राज़दाँ
हम हँसें तो हँस पड़े हर कली
हम चलें तो चल पड़े ज़िन्दगी
सारे नज़ारों में फूलों में तारों में
हमने ही जादू भरा
हम जब चलें ...

तुम से है फ़िज़ाओं में रंग--बू
हम है इस ज़मीं की आबरू
नदियों की रागिनी हमसे है
हर तरफ़ ये ताज़ग़ी तुम से है
सारे नज़ारों में ...

दूर हो गईं सभी मुश्किलें
खिंच के पास गईं मंज़िलें
देख के शबाब के हौसले
खुद--खुद सिमट गए फ़ासले
सारे नज़ारों में ...



[Note : This is the only song written by Sahir in this movie]

[Singer : Md. Rafi, Composer : Usha Khanna, Director : Ram Mukherjee, Actor : Sunil Dutt]

मै तो कुछ भी नही (दाग-1973) Main to kuch bhi nahin (Daag -1973)

आप,
आप  क्या जाने मुझको समझते है क्या 
मै तो कुछ भी नही |

इस कदर प्यार इतनी बड़ी भीड़ का मै रखूँगा कहाँ 
इस कदर प्यार रखने के काबिल  नही 
मेरा दिल, मेरी जान
मुझको इतनी मुहब्बत ना दो दोस्तों, 
मुझको इतनी मुहब्बत ना दो दोस्तों 
सोच लो दोस्तों 
इस कदर प्यार कैसे संभालूँगा मैं 
मै तो कुछ भी नही  |

प्यार,
प्यार एक शख्श  का भी अगर मिल सके 
 तो बड़ी चीज़ है जिन्दगी  के लिए 
आदमी को मगर ये भी मिलता नही 
ये भी मिलता नही, 
मुझको इतनी मुहब्बत मिली आपसे 
ये मेरा हक नही मेरी तकदीर है 
मैं ज़माने की नज़रो में कुछ भी ना था 
मेरी आँखों में अब तक वो तस्वीर है 
उस मुहब्बत के बदले मै क्या नज़र दूँ 
मै तो कुछ भी नही  |

इज्ज़ते, शोहरते, चाहतें, उल्फतें ,
कोई भी चीज़ दुनिया में रहती नही 
आज मै हूँ जहाँ, कल कोई और था 
ये भी एक दौर है, वो भी एक दौर था 
आज इतनी मुहब्बत ना दो दोस्तों 
कि मेरे कल के खातिर कुछ भी ना रहे 
आज का प्यार थोडा बचा कर  रखो 
थोडा  बचा  कर रखो  मेरे कल के लिए 
कल कल जो गुमनाम है 
कल जो सुनसान है 
कल जो अनजान है 
कल जो वीरान है 
मै तो कुछ भी नही |

[Note : Sahir wrote this poem as a thanks-giving gesture after receiving Padam Shri Award. Subsequently he used this poem for the movie Daag, where it was recited by Rajesh Khanna.]