मुझे यह बताते हुए बहुत
खुशी हो रही है कि साहिर लुधियानवी पर मेरी दूसरी पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है -
साहिर लुधियानवी : मेरे गीत तुम्हारे | यह पुस्तक साहिर
के गीतों पर मेरे तीन वर्षों के अध्ययन का परिणाम है | इसे स्टार पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित
किया गया है |
साहिर फिल्मी-गीतों को महज मनोरंजन का साधन नहीं मानते थे | उन्होंने अपने गीतों में कई विषयों को उठाया | उन्होंने न सिर्फ सामाजिक बुराइयों पर आघात किया, बल्कि आजाद भारत के हालात, उसके भविष्य की रूपरेखा, धार्मिक सौहार्द, स्त्रियों की स्थिति, वक्त की ताकत, प्रेम की अवधारणा जैसे कई जटिल विषयों पर अपने विचार रखे । साहिर के अलावा शायद ही किसी गीतकार का कैनवास इतना विशाल रहा हो । मौजूदा पुस्तक में इन विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है और साहिर के विचारों को जानने, समझने की कोशिश की गई है |
साहिर ने 115-120 फिल्मों के लिए लगभग सवा से साढ़े सात सौ गीत लिखे । मुझे उनकी 114 फिल्मों के 712 गीतों की जानकारी मिली | इनमें से मुझे 696 गीत उपलब्ध भी हो पाये । प्रस्तुत पुस्तक इन्हीं 696 गीतों का सार है |
साहिर फिल्मी-गीतों को महज मनोरंजन का साधन नहीं मानते थे | उन्होंने अपने गीतों में कई विषयों को उठाया | उन्होंने न सिर्फ सामाजिक बुराइयों पर आघात किया, बल्कि आजाद भारत के हालात, उसके भविष्य की रूपरेखा, धार्मिक सौहार्द, स्त्रियों की स्थिति, वक्त की ताकत, प्रेम की अवधारणा जैसे कई जटिल विषयों पर अपने विचार रखे । साहिर के अलावा शायद ही किसी गीतकार का कैनवास इतना विशाल रहा हो । मौजूदा पुस्तक में इन विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है और साहिर के विचारों को जानने, समझने की कोशिश की गई है |
साहिर ने 115-120 फिल्मों के लिए लगभग सवा से साढ़े सात सौ गीत लिखे । मुझे उनकी 114 फिल्मों के 712 गीतों की जानकारी मिली | इनमें से मुझे 696 गीत उपलब्ध भी हो पाये । प्रस्तुत पुस्तक इन्हीं 696 गीतों का सार है |
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