November 16, 2013

शेर का हुस्न हो, नगमे की जवानी हो तुम (चम्बल की कसम -1979) Sher ka husn ho, nagme ki jawani ho tum (Chambal ki Kasam -1979)

शेर का हुस्न हो, नगमे की जवानी हो तुम 
एक धड़कती हुई शादाब कहानी हो तुम । 



आंख ऐसी कि कंवल तुमसे निशानी मांगे
जुल्फ ऐसी कि घटा शर्म से पानी मांगे 
जिस तरफ से भी नजर डालो सुहानी हो तुम 
शेर का हुस्न हो, नगमे की जवानी हो तुम । 


जिस्म ऐसा कि अजन्ता का अमल याद आये 
संग-ए-मरमर में ढला ताजमहल याद आये 
पिघले-पिघले हुए रंगों की रवानी हो तुम 
शेर का हुस्न हो, नगमे की जवानी हो तुम । 

धडकने बुनती है जिसको वो तराना हो तुम 
सच कहो किसके मुकद्दर  का खज़ाना हो तुम 
मुझपे माईल हो कि दुश्मन की दीवानी हो तुम 
शेर का हुस्न हो नगमे की जवानी हो तुम | 


[Composer : Khayyam, Singer : Md. Rafi, Director : Ram Maheshwari, Actor : Satrughan Sinha, Mausami Chaterjee]
 
 

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