November 16, 2013

मरता है कोई तो मर जाये (चंबल की कसम - 1979) Marta hai koi to mar jaye (Chambal ki Kasam -1979)

मरता है कोई तो मर जाये, हम अपना निशाना क्यों छोड़े 
दिलवाले बचाएँ दिल अपना, हम तीर चलाना क्यों छोड़े |

मजबूर ना हो तो इश्क ही क्या, मगरूर ना हो तो हुस्न ही क्या
तुम हमको मनाना क्यों छोडो, हम तुमको सताना क्यूँ छोड़े |

जो हमको नसीहत करते है, वो अपना जमाना देख चुके
हम पर भी जवानी आई है, हम अपना जमाना क्यूँ छोड़े । 

दुनिया तो हमारे सामने हैं, जन्नत का पता क्या हो कि ना हो 
जन्नत में छुपी दौलत के लिए, दुनिया का खज़ाना क्यूँ छोड़े । 


[Composer : Khayyam, Singer : Lata Mangeshkar,  Director : Ram Maheshwari, Actor : Rajkumar, Satrughan Sinha, Mausami Chaterjee]

कुछ और बहक जाऊँ, तब मेरे करीब आना (चंबल की कसम -1979) Kuch der bahak jaun, tab mere kareeb aana (Chambal ki kasam -1979)

कुछ और बहक जाऊँ, तब मेरे करीब आना
खिल जाऊँ, महक जाऊँ, तब मेरे करीब आना |

कम-कम है अभी नशा, कम-कम है अभी मस्ती 
थोड़ी सी अभी पी है, थोड़ी सी अभी ली है 
हसरत अभी बाकी है, तू आज का साकी है 
पीने दे पिलाने दे, कुछ रंग पे आने दे 
कम-कम है अभी नशा, कम-कम है अभी मस्ती
कुछ और बहक जाऊँ, तब मेरे करीब आना | 
 
मचले हुए इस दिल को, कुछ और मचलने दे 
ऐसी जल्दी भी है क्या, गर्म होने दे फज़ा  
रात ढलने दे जरा, शौक पलने दे जरा
डगमगाने दे बदन, तेज होने दे लगन 
मचले हुए इस दिल को, कुछ और मचलने दे 
लहराऊँ लहक जाऊँ, तब मेरे करीब आना 
कुछ और बहक जाऊँ, तब मेरे करीब आना । 
 
रग-रग में उतरने दे, जज्बात की गर्मी को 
दिल और धड़कने दे, आग और भड़कने दे 
तब हुस्न जवां होगा आलम ही जुदा होगा 
रग रग में उतरने दे जज्बात की गर्मी को 
शोला सी दहक जाऊँ , तब मेरे करीब आना 
कुछ और बहक जाऊँ, तब मेरे करीब आना । 
 

[Composer : Khayyam, Singer : Lata Mangeshkar, Director : Ram Maheshwari, Actor : Mausami Chaterjee, Ranjit, Rajkumar]

 

शेर का हुस्न हो, नगमे की जवानी हो तुम (चम्बल की कसम -1979) Sher ka husn ho, nagme ki jawani ho tum (Chambal ki Kasam -1979)

शेर का हुस्न हो, नगमे की जवानी हो तुम 
एक धड़कती हुई शादाब कहानी हो तुम । 



आंख ऐसी कि कंवल तुमसे निशानी मांगे
जुल्फ ऐसी कि घटा शर्म से पानी मांगे 
जिस तरफ से भी नजर डालो सुहानी हो तुम 
शेर का हुस्न हो, नगमे की जवानी हो तुम । 


जिस्म ऐसा कि अजन्ता का अमल याद आये 
संग-ए-मरमर में ढला ताजमहल याद आये 
पिघले-पिघले हुए रंगों की रवानी हो तुम 
शेर का हुस्न हो, नगमे की जवानी हो तुम । 

धडकने बुनती है जिसको वो तराना हो तुम 
सच कहो किसके मुकद्दर  का खज़ाना हो तुम 
मुझपे माईल हो कि दुश्मन की दीवानी हो तुम 
शेर का हुस्न हो नगमे की जवानी हो तुम | 


[Composer : Khayyam, Singer : Md. Rafi, Director : Ram Maheshwari, Actor : Satrughan Sinha, Mausami Chaterjee]
 
 

सिमटी हुई ये घड़ियाँ (चम्बल की कसम -1979) Simti hui ye ghadiyan (Chambal ki Kasam -1979)

 सिमटी हुई ये घड़ियाँ, फिर से न बिखर जायेँ
इस रात में जी लें हम, इस रात में मर जायेँ । 

अब सुबह न आ पाये, आओ ये दुआ माँगें
इस रात के हर पल से, रातें ही उभर जायेँ ।

दुनिया की निगाहें अब हम तक न पहुँच पायेँ
तारों में बसें चलकर धरती पे उतर जायेँ । 


हालात के तीरों से छलनी हैं बदन अपने
पास आओ के सीनों के कुछ ज़ख़्म तो भर जायेँ । 



आगे भी अन्धेरा है, पीछे भी अन्धेरा है
अपनी हैं वो ही साँसें, जो साथ गुज़र जायेँ । 


बिछड़ी हुई रूहों का ये मेल सुहाना है
इस मेल का कुछ अहसास जिस्मों पे भी कर जायेँ । 
 
तरसे हुये जज्बों अब और न तरसाओ
तुम शाने पे सर रख दो, हम बाँहों में भर जायेँ
। 


[Composer : Khayyam, Singer : Lata Mangeshkar, Md. Rafi, Director : Ram Maheshwari, Actor : Rajkumar, Mausami Chaterjee]