October 29, 2013

Some Couplets from the songs of Sahir

तोरा मन दर्पण कहलाये
भले बुरे सारे कर्मो को देखे और दिखाए

           मन ही देवता
           मन ही ईश्वर
           मन से बड़ा कोय

वक़्त के आगे उड़ी कितनी तहजीबों की धूल
वक़्त के आगे मिटे कितने मजहब और रिवाज़

           आदमी को चाहिए वक़्त से डर कर रहे
           कौन जाने किस घडी वक्त का बदले मिजाज 
 

इक पल की पलक पे ठहरी हुई ये दुनिया
इक पल के झपकने तक हर खेल सुहाना है

                     हम लोग खिलोने हैं इक ऐसे खिलाडी के
          जिसको अभी सदियों तक ये खेल रचाना है

ये पाप है क्या ये पुण्य है क्या
रीतों पे धरम की मुहरें हैं,
हर युग में बदलते धर्मों को
कैसे आदर्श बनाओगे ?


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