वो ज़िन्दगी जो थी अब तेरी पनाहों में
चली है आज भटकने उदास राहों में |
तमाम उम्र के रिश्ते घड़ी में ख़ाक़ हुए
न हम हैं दिल में किसी के न हैं निगाहों में |
ये आज जान लिया अपनी कमनसीबी ने
कि बेग़ुनाही भी शामिल हुई ग़ुनाहों में |
किसी को अपनी ज़रूरत न हो तो क्या कीजे
निकल पड़े हैं सिमटने क़ज़ा की बाँहों में |
[Music : Ravi, Singer : Asha Bhonsle, Producer : Pannalal Maheshwary, Director : Ram Maheshwary, Actor : Wahida Rehman, Manoj Kumar]चली है आज भटकने उदास राहों में |
तमाम उम्र के रिश्ते घड़ी में ख़ाक़ हुए
न हम हैं दिल में किसी के न हैं निगाहों में |
ये आज जान लिया अपनी कमनसीबी ने
कि बेग़ुनाही भी शामिल हुई ग़ुनाहों में |
किसी को अपनी ज़रूरत न हो तो क्या कीजे
निकल पड़े हैं सिमटने क़ज़ा की बाँहों में |
A very sad and poignant song. Sahir's lyrics are are thought provoking, set to beautiful music by Ravi and melodiously sung by Asha Bhosle.
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