बहार आई, खिली कलियाँ, हँसे तारे, चले आओ
हमें जीने नहीं देते ये नज़ारे, चले आओ |
ज़ुबाँ पर आह बन-बन के तुम्हारा नाम आता है
मुहब्बत में तुम्हीं जीते हमीं हारे चले आओ |
कहीं ऐसा न हो दिल की लगी दिल ही को ले डूबे
बुझाए से नहीं बुझते ये अंगारे चले आओ |
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