December 31, 2013

फिर ना कीजै मेरी गुस्ताख़ निगाहों का गिला (फिर सुबह होगी-1958) Phir na keeje meri gustakh nigahi kagila (Phir Subah hogi-1958)

फिर ना कीजै मेरी गुस्ताख़ निगाहों का गिला
देखिये आप ने फिर प्यार से देखा मुझको |
          
मैं कहाँ तक ना निगाहों को पलटने देती
     आप के दिल ने कई बार पुकारा मुझको |

 
इस कदर प्यार से देखो ना हमारी ज़ानिब 
दिल अगर और मचल जाये तो मुश्किल होगी
        तुम जहाँ मेरी तरफ़ देख के रुक जाओगे
        वही मंजिल मेरी तक़दीर की मंजिल होगी |


एक यूँ ही सी नजर दिल को जो छू लेती है
कितने अरमान जगाती है तुम्हे क्या मालूम
        रूह बेचैन है कदमों से लिपटने के लिये
        तुमको हर साँस बुलाती है तुम्हे क्या मालूम |

हर नज़र आपकी जज्बात को उकसाती है
मैं अगर हाथ पकड़ लूं तो खफ़ा मत होना
       मेरी दुनिया--मोहब्बत है तुम्हारे दम से
       मेरी दुनिया--मोहब्बत से जुदा मत होना |
देखिये आप ने फिर प्यार से देखा मुझको
आप के दिल ने कई बार पुकारा मुझको

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