ख़ामोश क्यों
हो तारो, उम्मीद के सहारो
तुम ही उन्हें
बुलाओ, तुम ही उन्हें पुकारो |
वीरान दिल की धड़कन आवाज़ दे रही है
तुम सामने तो आओ, पर्दानशीं बहारो |
सचमुच मेरी
दुआयें, क्या तुमको खींच लाईं
मेरे क़रीब
आकर इक बार फिर पुकारो |
बेचैन आरज़ूएं कब से तरस रही हैं
तुम दूर दूर क्यूँ हो, उल्फ़त की
यादगारो |
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