April 14, 2013

भरम तेरी वफ़ाओं का मिटा देते तो क्या होता (अरमान -1953) Bharam teri wafaon ka mita dete to kya hota (Armaan -1953)

भरम तेरी वफ़ाओं का मिटा देते तो क्या होता
तेरे चेहरे से हम पर्दा उठा देते तो क्या होता |

मुहब्बत भी तिजारत हो गयी है इस ज़माने में
अगर ये राज़ दुनिया को बता देते तो क्या होता |

तेरी उम्मीद पर जीने से हासिल कुछ नहीं लेकिन
अगर यूँ ही दिल को आसरा देते तो क्या होता |

[Composer :  S.D.Burman,  Singer : Talat Mahmood,  Producer : F.Tech of India, Director : Fali Mistry]


निकले थे कहाँ जाने के लिये (बहू बेगम – 1967) Nikle the kahan jane ke liye (Bahu Begum – 1967)

निकले थे कहाँ जाने के लिये, पहुंचे है कहाँ मालूम नहीं
अब अपने भटकते क़दमों को, मंजिल का निशान मालूम नहीं |

हमने भी कभी इस गुलशन में, एक ख्वाब--बहारां देखा था
कब फूल झडे,  कब गर्द उड़ी, कब आई खिज़ां मालूम नहीं |

दिल शोला--ग़म से खाक हुआ, या आग लगी अरमानों में
क्या चीज़ जली क्यूं सीने से  उठता है धुआं मालूम नहीं |

बरबाद वफ़ा का अफ़साना हम किससे कहें और कैसे कहें
खामोश हैं लब और दुनिया को अश्कों की ज़ुबां मालूम नहीं |
[Composer: Roshan,  Singer : Asha Bhonsle, Actor : Meena Kumari, Helen,  Producer : Jan Nisar Akhtar,  Director : M.Sadiq ]