March 05, 2014

मोहब्बत की नज़र जब मेहरबां मालूम होती है (सावधान -1954) Mohabbat ki nazar jab meharbaan (Savdhan -1954)

मोहब्बत की नज़र जब मेहरबां मालूम होती है
ये दुनिया खूबसूरत और जवां  मालूम होती है ।

ये कैसी आग भड़का दी है तूने मेरे सीने में
कि जो अब सांस आती है, धुंआं मालूम होती है ।

ये मस्ताना ग़ज़ल छेड़ी है जो साकी ने महफ़िल में
किसी मैकस के दिल की दास्तां मालूम होती है ।


[Composer : Vasant Desai & C. Ramchandra, Singer : Asha Bhonsle, Director: Dattatreya Jagannath Dharmadhikari]

 

सीता के लिए लिखा है यही (जियो और जीनो दो - 1982) Sita ke liye likha hai yahi (Jiyo aur jino do - 1982)

चुप चुप अपनी जान पे सह जा, दुनिया के अन्याय 
कई नहीं इस धरती पे जो तेरा दर्द बटाएं ।

सीता के लिए लिखा है यही, हर युग में अग्नि परीक्षा दे 
दुःख सह के भी मुँह से कुछ न कहे, मन को धीरज की शिक्षा दे  । 

गैरों के कड़वे बोल सुने, अपनों का अत्याचार सहे 
जिस राम के संग वन वन भटके, उस राम के भी दुत्कार सुने 
धरती में सामने से पहले, धरती की तरह हर भार सहे 
सीता के लिए लिखा है यही..... 
 
पुरूषों की बनाई दुनिया में, क्या इक नारी का मान बचे 
जिस जहर से राम का मन न बचा, उस जहर से क्या इंसान बचे 
जो रीत युगों से जारी है, उस रीत से कैसे जान बचे 
सीता के लिए लिखा है यही.…… 
 
इस अंधी बहरी नगरी में जब जब सीता को आना है 
जीते जी कष्ट उठना, मरने पे सती कहलाना है
इतिहास से पन्नों को  सदियों, यूं ही ये कथा दोहराना है 
सीता के लिए लिखा है यही.…
 
[Composer : Lakshmi Kant Pyare Lal, Singer : Md. Rafi, Actor : Nutan, Danny}
 

सीता भी जहाँ सुख पा ना सकी, तू उस धरती की नारी है (-1982) Sita bhi jahan sukh paa na saki, tu us dharti kii naari hai (Lakshmi -1982)

ना तेरा दुर्भाग्य नया है, ना जग का व्यवहार नया
ना राहों के शूल नयी, ना पत्थर दिल संसार नया |

सीता भी जहाँ सुख पा ना सकी, तू उस धरती की नारी है
जो जुल्म तेरी तकदीर बना, वो जुल्म युगों से जारी है ।

वो कन्या हो या गर्भवती, नारी को सदा अपमान मिले
अवतारों की नस्ल बढ़ा कर भी, पतिताओं में स्थान मिले
सदियों से यहाँ हर अबला ने , रो रो कर उम्र गुज़री है ।

कहने को तो देवी कहलाई, पर नारी यहाँ दासी ही रही
दो प्यार के मीठे बोलों की, मरते दम तक प्यासी ही रही
जो जहर मिले वो पीती जा, तू कौन सी जनक दुलारी है  ।

मायका छूटा,  ससुराल छूटा, जायेगी मगर जायेगी कहाँ
अब बाल्मीकि सा कोई ऋषि, इस धरती पे पायेगी कहाँ
अब तू एक भटकती हिरनी है, और मर्द की नज़र शिकारी है
जो जुल्म तेरी तकदीर बना, वो जुल्म युगों से जारी है ।

[Composer : Usha Khanna, Singer : Mahender Kapoor, Director : B.S.Thapa, Producer : Raja Desai, Actor : Reena Roy]