December 27, 2012

क से कुल दुनिया हमारी (चाँदी की दीवार -1964) Ka se kul duniya hamari (Chandi Ki Deewar 1964)

क से कुल दुनिया हमारी जिसमे भारत देश है
ख से खेती जिसमे जीवनदान का सन्देश है ।

ग से गंगा सबसे पहले आके  उतरी थी जहाँ
घ से घर की आबरू रक्षक हैं जिसके नौजवान,
च से रजा चन्द्रगुप्त और छ  से उसका छत्र  है
देश के इतिहास का वो युग सुनहरा पत्र है ।

ज से जलालुद्दीन अकबर जिसने सोहिल ए कुल किये
हिन्दू मुस्लिम नस्ल और मजहब मिलाने के लिए,
झ से है झाँसी की रानी, ट से टीपू सूरमा
जिसके जीते जी न सिक्का चल सका अंग्रेज़  का,
ठ  से वो ठाकुर जिसे टैगोर कहता है जहां
विश्व भर में उसकी रचनाओं से है भारत का मान ।
    
ड से डल  कश्मीर की, जो हर नज़र का नूर है
ढ से ढाका  जिसकी मलमल आज तक मैशहूर है ।
त से ताज आगरे का इक अछूता शाहकार
शाहजहाँ की लाडली मुमताज़ बेगम का मजार ।

द  से दिल्ली दिल वतन का, ध से धड़कन प्यार की
न से नेहरु जिस पे हैं नज़र लगी संसार की,
प से उसका पंचशील   और फ से उसका सुर्ख फूल
ब से बापू जिसको प्यारे थे अहिंसा के उसूल
भ भगत सिंह जिसने ललकारा विदेशी राज को
चढ़ के फँसी पर बचाया अपनी माँ की लाज को ।

म से हो मजदूर जिसका दौर अब आने को है
य से युग सरमायादारी का जो मिट जाने को है
र से रास्ता प्यार का, ल से लगन इन्साफ की
व से ऐसा वायुमंडल जिससे बरसे शांति
श से शाहों का जमाना, स से समझो जा चुका
ह से हम सब एक हों वक्त ये फरमा  चुका ।

क से कुल दुनिया हमारी जिसमे भारत देश है
ख से खेती जिसमे जीवनदान का सन्देश है ।

(तीसरे पैरे की पहली लाइन में अकबर के 'सुलह ए कुल' का जिक्र है ।) 

 [Note : I got the complete lyrics from audio files avaialble on internet. Once I got the complete song on Youtube, I will post it also. Meanwhile, readers may enjoy the lyrics. Personally I find last two para interesting. The 2nd last para shows the respect Sahir has for Nehru and his views. From the last para,the impact of marxist ideology on Sahir is clearly visible.
Sahir shared this  viewpoint in another song from 1963 movie 'Aaj aur Kal' . The song is "Takht na hoga, taj na hog/  kal tha lekin, aaj na hoga.  This song is also posted on my blog.] 

[Singer: Asha Bhonsle,   Composer :  N.Dutta, Producer : B.R.Chopra, Director: Dilip Bose ]

 

October 13, 2012

समाज को बदल डालो (समाज को बदल डालो-1970) samaj ko badal dalo (Samaj ko badal dalo-1970)

समाज को बदल डालो
जुल्म और लूट के रिवाज़ को बदल डालो 
समाज को बदल डालो  ।

कितने घर हैं जिनमे आज रोशनी नहीं 
कितने तन बदन हैं जिनमे जिंदगी नहीं 
मुल्क और कौम के मिजाज़ को बदल डालो 
समाज को बदल डालो  ।

सैकड़ो की मेहनतों  पर एक क्यों पले 
ऊंच नीच से भरा निजाम क्यों चले 
आज हैं यही तो ऐसे आज को बदल डालो 
समाज को बदल डालो । 

[Composer : Ravi, Singer : Md. Rafi, Producer : Gemini Arts, Director : V.Madhusudan Rao]

अम्मा इक रोटी दे, बाबा इक रोटी दे (समाज को बदल डालो-1970) Amma ik roti de, baba ik roti de (Samaj ko badal dalo-1970)

अम्मा इक रोटी दे, बाबा इक रोटी दे
भूखे बच्चे मांग रहें हैं कब से हाथ पसार के
अम्मा इक रोटी दे, बाबा इक रोटी दे ।

एक नहीं तो आधी दे दे, आधा पेट ही भर लेंगे
रूखी सूखी जो भी मिलेगी, खा के  गुजरा कर लेंगे
सब खातें हैं और हम कब से खड़े हैं मन को मार के
अम्मा इक रोटी दे, बाबा इक रोटी दे  ।

दूध मलाई न मांगे हम, लड्डू  पेड़ा  न मांगे
रोटी का टुकड़ा दिलवा दो, रुपया पैसा न मांगे
छोटा सा ये पेट हमारा कब से कहे पुकार के
अम्मा इक रोटी दे, बाबा इक रोटी दे  ।

तुने या तेरे बच्चो ने जो भी जूठा छोड़ा हो
पास बुला कर दे दे हम को, बहुत हो चाहे थोडा हो
कुछ तो दे दो यूँ ही न लौटा देना दुत्कार के
अम्मा इक रोटी दे, बाबा इक रोटी दे  ।


[Composer : Ravi, Singer : Lata Mangeshkar, Usha Mangeshkar, Producer : Gemini Arts, Director : V.Madhusudan Rao]



October 09, 2012

बदल रही है जिंदगी (आज़ादी की राह पर -1948) Badal rahi hai zindagi(Azadi ki raah par-1948)

बदल रही है जिंदगी,  
बदल रही है जिंदगी  |

ये उजड़ी उजड़ी बस्तियां, ये लूट की निशानियाँ, 
ये अजनबी पे अजनबी के ज़ुल्म की कहानियाँ, 
अब इन दुखों के भार  निकल रही है जिंदगी, 
बदल रही है जिंदगी  ।

जमीन पे सरसराहटें, फलक पे थरथराहटें,
फिजां में गूँजतीं  है  एक नए जहां की आहटें
मचल रही है जिंदगी, संवर रही है जिंदगी 
बदल रही है जिंदगी  ।


[Composer  : G. D. Kapoor, Director : Lalit Chandra Mehta,  Producer : Hindustan Kala Mandir]

Note on Sahir :  I could not get the video or audio of this song, but lyrics were available in a  great website on work of Sahir :   www.sahir-ludhianvi.com. I picked it up from there.

This is the first movie of Sahir, in which he wrote four songs.
(1)        Badal rahi hai jindagi
(2)       Bhaarat jananii terii jai ho jai ho
(3)       Jaag uthaa  hai hindustaan
(4)     Mere charkhe men jeevan kaa raag sakhii

This movie has two more songs, but they are by other lyricists.  By the time (1948) the movie was completed and released, partition took place and Sahir’s work went unnoticed.  Sahir had to leave India to see his mother who had shifted to Lahore. Sahir stayed in Lahore for one and half year, but came back to India, when he heard that he might get arrested for the articles he wrote against Pakistan Government.

October 04, 2012

किसी के वादे पे क्यूँ ऐतबार हमने किया ( द बर्निंग ट्रेन -1980) Kisi ke vade pe kyun aitbar hamne kiya (The Burning Train – 1980)

किसी के वादे पे क्यूँ ऐतबार हमने किया
न आने वालों का क्यूँ इंतज़ार हमने किया


न वो हमारे हुये और न हम रहे अपने
मुहब्बतों का अजब कारोबार हमने किया


वो खेल खेल रहे थे, वो खेल खेल चुके
ख़ता हमारी थी क्यूँ उनसे प्यार हमने किया


बिछड़ के उनसे न जब दिल किसी तरह बदला
शराबख़ाने का रुख़ इख़्तियार हमने किया


[Composer :  R.D.Burman,  Singer : Asha Bhonsle , Producer: B.R.Chopra, Director : Ravi Chopra]

हज़ार ख्वाब हकीकत का रूप ले लेंगे (इंसाफ का तराजू-1980) Hazaar khawab haqeeqat ka roop le lengey (Insaaf Ka Tarazoo -1980)

हज़ार ख्वाब हकीकत का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है के तुम मुस्कुरा के हाँ कह दो ।
          मुहब्बतों में है दोनों का एक ही मतलब
         अदा से न कहो या मुस्कुरा के हाँ कह दो ।

हज़ार ख्वाब बहारों के और सितारों के
तुम्हारे साथ मेरी जिंदगी में आये हैं,
         तुम्हारी बाहों के झूले में झूलने के लिए
        मचल-मचल के मेरे अंग गुनगुनाये हैं ।
ये सारे शौक,  सारे शौक, सदाक़त का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है के तुम मुस्कुरा के हाँ कह दो ।

भरेगी मांग तुम्हारी वो दिन भी क्या होगा
सजेगी सेज हवाओं की सांस महकेगी
          तुम अपने हाथों से सरकाओगे मेरा आँचल 
         अजब आग मेरे तन बदन में दहकेगी
ये सारे शौक,  सारे शौक, सदाक़त का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है के तुम मुस्कुरा के हाँ कह दो ।

         मैं अपनी जुल्फों के साये बिछाऊंगी तुम पर
मैं तुमपे अपनी  जवान धड़कने  लुटाऊंगा
        मैं सुबह तुमको जगाऊंगी लब पे लब रखकर
मैं तुमको भींच के कुछ और पास लाऊंगा
         ये सारे शौक,  सारे शौक, सदाक़त का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है के तुम मुस्कुरा के हाँ कह दो ।
         मुहब्बतों में है दोनों का एक ही मतलब
        अदा से न कहो या मुस्कुरा के हाँ कह दो ।
हज़ार ख्वाब हकीकत का रूप ले लेंगे । 

[Composer :  Ravinder Jain, Singer : Mahender Kapoor,  Asha Bhosle, Producer &  Director : B.R.Chopra]



ये आँखें देख कर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं (धनवान –1973) Yeh aankhen dekh kar hum sari duniya bhool jatey hain (Dhanwan – 1981)

ये आँखें देख कर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं
इन्हें पाने की धुन में हर तमन्ना भूल जाते हैं |

       तुम अपनी महकी-महकी ज़ुल्फ़ के पेचों को कम कर दो
       मुसाफ़िर इनमें गिरकर अपना रस्ता भूल जाते हैं |

ये बाहें जब  हमें अपनी पनाहो में बुलाती हैं
हमे अपनी क़सम हम हर सहारा  भूल जाते हैं |

        तुम्हारे नर्म--नाज़ुक होंठ जिस दम मुस्कराते हैं
        बहारें झेंपती हैं फूल खिलना भूल जाते हैं |

बहुत कुछ तुम से कहने की तमन्ना दिल में रखते हैं
मगर जब सामने आते हैं  कहना भूल जाते हैं |

               
मुहब्बत में ज़ुबां चुप हो तो आँखें बात करतीं हैं
                वो
कह देती हैं सब  बातें जो कहना भूल जाते हैं |

[Composer :  Hridaynath Mangeshkar, Singer : Lata Mangeshkar,Suresh Wadekar, Producer: Sohanlal Kanwar, Director : Surender Mohan, Actor : Rakesh Roshan,  Reena Roy]

  

मेरे दिल में आज क्या है (दाग – 1973) Mere dil mein aaj kya hai (Daag -1973)

मेरे दिल में आज क्या है, तू कहे तो मैं बता दूँ
तेरी ज़ुल्फ़ फिर सवारूँ, तेरी माँग फिर सजा दूँ

मुझे देवता बनाकर, तेरी चाहतों ने पूजा
मेरा प्यार कह रहा है, मैं तुझे खुदा बना दूँ |

कोई ढूँढ्ने भी आए, तो हमें ना ढूँढ़ पाए
तू मुझे कहीं छुपा दे, मैं तुझे कहीं छुपा दूँ |

मेरे बाज़ुओं मे आकर, तेरा दर्द चैन पाए
तेरे गेसुओं मे छुपकर, मैं जहां  के ग़म भुला दूँ |

 
[Composer :  Laxmikant- Pyarelal, Singer : Kishore Kumar, Producer/Director : Yash Chopra,  Actor : Sharmila Tagore, Rajesh Khanna]

जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग (दाग – 1973) Jab bhi jee chahey (Daag -1973)

जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग
एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग |

याद रहता है किसे गुज़रे ज़माने का चलन
सर्द पड़ जाती है चाहत, हार जाती है लगन
अब मोहब्बत भी है क्या इक तिजारत के सिवा
हम ही नादां थे जो ओढ़ा बीती यादों का क़फ़न
वरना जीने के लिए सब कुछ भुला देते हैं लोग |

जाने वो क्या लोग थे जिनको वफ़ा का पास था
दूसरे के दिल पे क्या गुज़रेगी ये एहसास था
अब हैं पत्थर के सनम जिनको एहसास ना गम 
वो ज़माना अब कहाँ जो अहल--दिल को रास था
अब तो मतलब के लिए नाम--वफ़ा लेते हैं लोग |


[Composer :  Laxmikant- Pyarelal, Singer : Lata Mangeshkar, Producer/Director : Yash Chopra,  Actor : Sharmila Tagore, Rajesh Khanna]