April 23, 2015

साहिर लुधियानवी के गीतों पर आधारित मेरी पहली पुस्तक - साहिर लुधियानवी के हिन्दी गीत

अमर वर्मा जी इसके सह-संपादक हैं और इसे स्टार पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया है |

इस संकलन में साहिर के लिखे ऐसे गीत शामिल किए गए हैं, जिन्हें हम ठेठ हिन्दी गीत कह सकते हैं | इन गीतों की विशेषता यह है कि इन्हें लिखते वक्त साहिर ने उर्दू-शब्दों से परहेज किया | इनमें प्रेम गीत हैं तो विरह व जुदाई के गीत भी, जीवन-दर्शन समझते गीत हैं तो मस्ती भरे गीत भी, देशभक्ति के गीत हैं तो आरतियां, भजन, बालगीत व विदाई गीत भी | ये गीत साहिर की हिन्दी भाषा पर गहरी पकड़ को दर्शाते हैं | साहिर के गीतों का यह ऐसा पक्ष है, जो उनके उर्दू शायरी की विराटता के कारण ओझल ही रहता है | इस संकलन में ऐसे 100 गीतों को शामिल किया गया है, जो साहिर के इस पक्ष को सामने लाते हैं  |
 

 

 

 
 

April 21, 2015

रात भर का है मेहमां अँधेरा (सोने की चिड़िया-1958) Raat bhar ka hai mehmaan andhera (Sone ki chidiya -1958)

मौत कभी भी मिल सकती है लेकिन जीवन कल मिलेगा
मरने वाले सोच समझ ले, फिर तुझे ये पल मिलेगा

रात भर का है मेहमां अँधेरा
किसके रोके रुका है सवेरा

रात जितनी भी संगीन होगी
सुबह उतनी ही रंगीन होगी
ग़म कर गर है बादल घनेरा
किसके रोके रुका है सवेरा

लब पे शिकवा ला, अश्क़ पी ले
जिस तरह भी हो कुछ देर जी ले
अब उखड़ने को है ग़म का डेरा
किसके रोके रुका है सवेरा

यूँ ही दुनिया में आकर जाना
सिर्फ़ आँसू बहाकर जाना
मुस्कुराहट पे भी हक़ है तेरा
किसके रोके रुका है सवेरा

कोई मिल के तदबीर सोचें
सुख के सपनों की ताबीर सोचें
जो तेरा है वही ग़म है मेरा
किसके रोके रुका है सवेरा
 

Note - 2nd last stanza was not used in movie. We take it from the collection of Sahir's song,  'Gata Jaye Banjara'

[Composer : O.P.Nayyar,  Singer : Md. Rafi,  Director : Shaheed Latif,  Producer : Ismat Chughtai, Actor : Nutan, Balraj Sahni]
 

April 17, 2015

उड़ें जब जब ज़ुल्फ़ें तेरी (नया दौर-1957) Ude jab jab zulfen teri (Naya Daur -1957)

उड़ें जब जब ज़ुल्फ़ें तेरी, कंवारियों का दिल मचले
जिन्द मेरिये
जब ऐसे चिकने चेहरे, तो कैसे न नज़र फिसले
जिन्द मेरिये

रुत प्यार करन की आयी, के बेरियों के बेर पक गये
जिंद मेरिये
कभी डाल इधर भी फेरा, के तक तक नैन थक गये
जिन्द मेरिये

उस गाँव पे सँवर कभी सदके, के जहाँ मेरा यार बसता
जिंद मेरिये
पानी लेने के बहाने आजा, के तेरा मेरा इक रस्ता
जिन्द मेरिये

तुझे चाँद के बहाने देखूँ, तू छत पर आजा गोरिये
जिंद मेरिये

अभी छेड़ेंगे गली के सब लड़के, के चाँद बैरी छिप जाने दे
जिन्द मेरिये

तेरी चाल है नागन जैसी, री जोगी तुझे ले जायेंगे
जिंद मेरिये
जायेँ कहीं भी मगर हम सजना, ये दिल तुझे दे जायेंगे
जिन्द मेरिये


[Composer : O.P.Nayyar, Singer: Asha Bhonsle, Md.Rafi, Producer & Director: B.R.Chopra, Actor : Dilip Kumar, Vaijyanthi Mala]

ये देश है वीर जवानों का (नया दौर -1957) Yeh desh hai veer jawano ka (Naya Daur -1957)

ये देश है वीर जवानों का
अलबेलों का मस्तानों का
इस देश का यारों क्या कहना
ये देश है दुनिया का गहना |

यहाँ चौड़ी छाती वीरों की
यहाँ भोली शक्लें हीरों की
यहाँ गाते हैं राँझे मस्ती में
मचती हैं धूमे बस्ती में |


पेड़ों में बहारें झूलों की
राहों में कतारें फूलों की
यहाँ हँसता है सावन बालों में
खिलती हैं कलियाँ गालों में |

कहीं दंगल शोख जवानों के
कहीं करतब तीर कमानों के
यहाँ नित नित मेले सजते हैं
नित ढोल और ताशे बजते हैं |

     
दिलबर के लिये दिलदार हैं हम
दुश्मन के लिये तलवार हैं हम
मैदां में अगर हम डट जाएं
मुश्किल है के पीछे हट जाएं


[Composer : O P Nayyar, Singer : Md. Rafi, Producer & Director : B.R.Chopra, Actor : Dilip Kumar, Ajit]

दो बूँदे सावन की (फिर सुबह होगी-1958) Do boonde sawan kii (Phir Subah Hogi -1958)

दो बूँदे सावन की
इक सागर की सीप में टपके और मोती बन जाये
दूजी गंदे जल में गिरकर अपना आप गंवाये
किसको मुजरिम समझे कोई, किसको दोष लगाये

दो कलियां गुलशन की
इक सेहरे के बीच गुँधे और मन ही मन इतराये
एक अर्थी के भेंट चढ़े और धूलि मे मिल जाये
किसको मुजरिम समझे कोई, किसको दोष लगाये

दो सखियाँ बचपन की
इक सिंहासन पर बैठे और रूपमती कहलाये
दूजी अपने रूप के कारण गलियों मे बिक जाये
किसको मुजरिम समझे कोई किसको दोष लगाये

[Composer : Khayyam, Singer : Asha Bhonsle, Director : Ramesh Saigal, Producer : Parijat Pictures;  Actor : Raj Kapoor, Mala Sinha]

April 01, 2015

फैली हुई हैं सपनों की बाहें (हाउस न॰ 44) Faili hui hain sapno kii banhen (House no. 44)

फैली हुई हैं सपनों की बाह
आजा चल दें कहीं दूर
वही मेरी मंजिल वहीं तेरी राहें
आजा चल दें कहीं दूर

ऊँची घटा के संग तले छिप जायें 
धुंधली फिजा में कुछ खोये कुछ पायें 
धड़कन की लय पर कोई ऐसी धुन गायें 
दे दे जो दिल को दिल की पनाहें 
आजा चल दें कहीं दूर  

झूला धनक का धीरे धीरे हम झूलें 
अम्बर तो क्या है तारों के भी लब छू लें 
मस्ती में झूमें और सभी ग़म भूलें 
देखें ना पीछे मुड़ के निगाहें 
आजा चल दें कहीं दूर

[Composer : S.D.Burman, Singer : Lata Mangeshkar, Actor : Kalpana Karthik]