May 16, 2013

रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ (गजल -1964) Rang aur noor ki baarat kise pesh karun (Ghazal -1964)

रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ |

मैने जज़बात निभाए हैं उसूलों की जगह
अपने अरमान पिरो लाया हूँ फूलों की जगह
तेरे सेहरे की ये सौगात किसे पेश करूँ |

ये मेरे शेर मेरे आखिरी नज़राने हैं
मैं उन अपनों मैं हूँ जो आज से बेगाने हैं
बेतल्लुक सी मुलाकात किसे पेश करूँ |

सुर्ख जोड़े की तबोताब मुबारक हो तुझे
तेरी आँखों का नया ख़्वाब मुबारक हो तुझे
मैं 
ये  ख़्वाहिश, ये ख़यालात किसे पेश करूँ |

कौन कहता है के चाहत पे सभी का हक़ है
तू जिसे चाहे तेरा प्यार उसी का हक़ है
मुझसे कह दे मैं तेरा हाथ किसे पेश करूँ । 

रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ
ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ |

[Composer : Madan Mohan, Singer : Md. Rafi, Actor : Sunil Dutt, Meena Kumari]  


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