सिमटी हुई ये घड़ियाँ, फिर से न बिखर जायेँ
इस रात में जी लें हम, इस रात में मर जायेँ ।
अब सुबह न आ पाये, आओ ये दुआ माँगें
इस रात के हर पल से, रातें ही उभर जायेँ ।
दुनिया की निगाहें अब हम तक न पहुँच पायेँ
तारों में बसें चलकर धरती पे उतर जायेँ ।
हालात के तीरों से छलनी हैं बदन अपने
पास आओ के सीनों के कुछ ज़ख़्म तो भर जायेँ ।
बिछड़ी हुई रूहों का ये मेल सुहाना है
इस मेल का कुछ अहसास जिस्मों पे भी कर जायेँ ।
तरसे हुये जज्बों अब और न तरसाओ
तुम शाने पे सर रख दो, हम बाँहों में भर जायेँ
।
[Composer : Khayyam, Singer : Lata Mangeshkar, Md. Rafi, Director : Ram Maheshwari, Actor : Rajkumar, Mausami Chaterjee]
इस रात में जी लें हम, इस रात में मर जायेँ ।
अब सुबह न आ पाये, आओ ये दुआ माँगें
इस रात के हर पल से, रातें ही उभर जायेँ ।
दुनिया की निगाहें अब हम तक न पहुँच पायेँ
तारों में बसें चलकर धरती पे उतर जायेँ ।
हालात के तीरों से छलनी हैं बदन अपने
पास आओ के सीनों के कुछ ज़ख़्म तो भर जायेँ ।
आगे भी अन्धेरा है, पीछे भी अन्धेरा है
अपनी हैं वो ही साँसें, जो साथ गुज़र जायेँ ।
अपनी हैं वो ही साँसें, जो साथ गुज़र जायेँ ।
बिछड़ी हुई रूहों का ये मेल सुहाना है
इस मेल का कुछ अहसास जिस्मों पे भी कर जायेँ ।
तरसे हुये जज्बों अब और न तरसाओ
तुम शाने पे सर रख दो, हम बाँहों में भर जायेँ
sayar ki soch ki gahrai aur seema ko zara gour farmaiye ga is gaane ka, wah kya baat hai. yahi to hai asli kalakari jo insaan ko amar banata hai. kas aisa hota k in jaise sapoot is dharti ko aur do char mil jata.maagar afsos aaj kaal aisa parwarais hi nahi di jaati k naye kalamkar uvar k aye aur is tadapti hui dharti k atma ko kuch sukoon de. ummid lagaye baitha hun chamatkaar k intezaar mein.samajhne walo k liye meri dua hai k saalamat raho aur kaalakar ki kadar karo take woh aag phir se sulge aur duniya roshan ho.jai hind
ReplyDeleteSahir ka matlab hai jadugar. True to his name this legend have created wonderful masterpieces. Respect, long live your creations.
ReplyDeleteबहुत सुंदर शब्द रचना और उस पर खैयाम जी का मदमस्त संगीत । रफ़ी और लता तो लाजवाब है ही
ReplyDeleteA magician of a poet, a profound philosopher and painter of life and a man whose pen was mightier than the sword.Sahir was and is peerless.He represents the best of Indian philosophy through those lyrics of his.Soulful, sweet and painful were they, like manna from heaven.Read them, retain them and recall those jewels which are priceless.India was privileged to have seen a Sahir flourish.
ReplyDeleteKitni gahrai hai sahir saab ki shayari main..matchless
ReplyDeleteA die hard Sahir admirer here, and a admired of Urdu poetry in general. Really appreciate your efforts Sunil, may you get more efficiency to keep doing this work. May I suggest a small revision, seems like a typo: "तारों में बसें चलकर धरती पे उतर जायेँ", in this line, its "dharati ME" instead of "dharti PE". Please consider.
ReplyDeleteAbsolutely classic words
ReplyDelete