May 03, 2011

पोंछ कर अश्क अपनी आँखों से - (नया रास्ता - 1970) Ponchh Kar Ashq Apni Aankhon Se - (Naya Raasta-1970)

पोंछ कर अश्क अपनी आँखों से मुस्कराओ तो कोई बात बने
सर झुकाने से कुछ नहीं होगा सर उठाओ तो कोई बात बने .

ज़िन्दगी भीख में नहीं मिलती ज़िन्दगी बढ़ के छीनी जाती है
अपना हक संगदिल ज़माने से छीन पाओ तो कोई बात बने .

रंग और नस्ल, जात और मज़हब जो भी हो आदमी से कमतर है
इस हकीकत को तुम भी मेरी तरह मान जाओ तो कोई बात बने .

नफरतों के जहान में हमको प्यार की बस्तियां बसानी हैं
दूर रहना कोई कमाल नहीं पास आओ तो कोई बात बने .


[ Singer : Rafi; Music : N.Dutta; Producer : I.A.Nadiadwala; Director : Khalid Akhtar;  Artist : Jitender, Asha Parekh ]




3 comments:

  1. बहुत ही अर्थपूर्ण ..... वाह साहिर साहब .... वाह ..... !

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  2. सुनील जी आपकी यह रचना बहुत ही खूबसूरत व प्रेरक है बिल्कुल सही कहा आपने "जिंदगी भीख से नहीं मिलती है उसको बढ़ के छीनी जाती है " बहुत ही अच्छी है आप ऐसी ही रचनाओं को शब्दनगरी पर भी लिख सकते हैं वहां पर भी जख्म गहरा था जैसी रचनाएँ पढ़ व् लिख सकते हैं।

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  3. Sun ke hi laga ki yeh gana sahir saheb ne likha hoga is liye Google check kiya ki meri soch sahi thi

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