The melodious song "Kabhi Kabhi mere dil me khayal aata hai" was first published in Sahir's "Talkhiyan" (तल्खियाँ) with the title 'Kabhi kabhi'. This ghazal is given below, with its lyrics and reading by Sahir. Unfortunately, we don't have much of Sahir's ghazal in his own voice. Amitabh Bchchan has also read part of original ghazal for the movie.
Besides the original ghazal, the lyrics, as penned for the film, has also been posted separately alongwith the song as sung by Mukesh and Lata in composition of Khaiyyam Saa'b.
The reader may type the word "Kabhi Kabhi" in SEARCH Column for easy access to all versions of the ghazal.
कभी -कभी मेरे दिल में ख़याल आता है !
गुजरने पाती तो शादाब हो भी सकती थी .
ये तीरगी (अँधेरा) जो मेरी जीस्त (जिंदगी) का मुक़द्दर है,
तेरी नज़र की शुआओं (रश्मियों) में खो भी सकती थी .
अजब न था कि मैं बेगाना ए अलम रहकर
तेरे जमाल की रानाईयों में खो रहता
तेरा गुदाज बदन तेरी नीमबाज आँखें
इन्ही हसीं फसानों में मैं खो रहता
पुकारती जब मुझे तल्खियाँ (bitterness) ज़माने की ..
तेरे लबों से हलावत (sweetness) के घूंट पे लेता ...
हयात (life) चीखती फिरती बरहना सर..(in void)
और मैं घनेरी जुल्फों में चुप के जी लेता ...!!
तेरे लबों से हलावत (sweetness) के घूंट पे लेता ...
हयात (life) चीखती फिरती बरहना सर..(in void)
और मैं घनेरी जुल्फों में चुप के जी लेता ...!!
मगर यह हो न सका और अब ये आलम है
कि तू नहीं, तेरा गम, तेरी जुस्तजू भी नहीं .
गुज़र रही हैं कुछ तरह जिंदगी जैसे इसे
किसी के सहारे की आरज़ू भी नहीं .
कि तू नहीं, तेरा गम, तेरी जुस्तजू भी नहीं .
गुज़र रही हैं कुछ तरह जिंदगी जैसे इसे
किसी के सहारे की आरज़ू भी नहीं .
ज़माने भर के दुखो को लगा चुका हूँ गले
गुजर रहा हूँ कुछ अनजानी राहगुज़ारों से
मुहीद साए मेरी सिम्त बढते आते हैं
गुजर रहा हूँ कुछ अनजानी राहगुज़ारों से
मुहीद साए मेरी सिम्त बढते आते हैं
हयात ओ मौत के पुरहौल खाज़ारों से .
न कोई जादा (track), न मंजिल न रौशनी का सुराग
न कोई जादा (track), न मंजिल न रौशनी का सुराग
भटक रही हैं खल्वतों (vacaum) में यूँ जिंदगी अपनी
इन्हीं ख़लाओं में रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हमनफस ....मगर यूँ ही
इन्हीं ख़लाओं में रह जाऊँगा कभी खो कर
मैं जानता हूँ मेरी हमनफस ....मगर यूँ ही
कभी -कभी मेरे दिल में ख़याल आता है !
Wonderful! Wonderful! Wonderful!
ReplyDeletePlease improve/rectify your lyrics.
ReplyDeleteThe line Is
Tera gudaz badan teri neembaaz
aankhein
Inhi haseen fasaano mein mehav ho rehta
Absolutely
DeleteHe lives in the deepest recesses of my mind -with Wordsworth, Keats Shelley-Kaifi Azmi,Narendra Sharma ,Bharat Vyas,MaithiliSharan Gupt,Harivanshrai Bachhan and G.d.madgulkar ,Indira Sant and Bakibaab Borkar !!!@
ReplyDeleteएक शानदार एहसास
ReplyDeleteWonderful
ReplyDeleteShandar.. shukriya
ReplyDeleteMaster piece, so many emotions in few couplets, Sahir sahab was indeed a remarkable poet.
ReplyDeleteसुनील भट्ट जी,
ReplyDeleteआपके इस असाधारण कार्य के लिए आपका कर्जदार हूँ| साहीर और उनके काम को आपके इस प्रयास ने सबके लिए सुलभ कर दिया है|
बस, एक गुस्ताखी करना चाहता हूँ ....
साहीर मेरे अज़ीज़ शायर है और उनकी यह नज़्म मुझे बेहद पसंद है|
आपने जो हिंदी की लिरिक्स प्रस्तुत की है उसमें आखिरी पैरे में एक शब्द है 'मुहीद' ... आपसे निवेदन है कि इसे "मुहीब" कर लें| "मुहीब साए" का अर्थ है "भयानक परछाई"
सुशील
sir please some हयात ओ मौत के पुरहौल,खल्वतों please traslat
DeleteGajab hai superb
ReplyDeleteसुनील जी, इस संपूर्ण गीत को हमारे समक्ष लाने के लिए आपका शुक्रिया।
ReplyDeleteBAHUT HI MITHAS SE BHARE SHABD
ReplyDeleteRuhani ahsas kash iska video bhi uplabadh ho pata......
ReplyDeleteWords have magic in them, and this nazam touches the height of emotions of love.
ReplyDeleteExtremely wonderful and magical kalam.
My salute to this great poet.
This poetry describes saher total emotions with the start of his love to its end and all through it is only one love. What a journey of this love||
ReplyDeleteHe is and will always be one of my closest icons ever along with P B Shelly, Lord Byron, Keats, Mahadevi Verma, Bachhan Sahab, Raghupati Sahai "Firaaq" Sahab and last but never the least Pablo Neruda... " Our sweetest songs are those which tell us of some saddest thoughts. "
ReplyDeleteSahir undoubtedly a great share, Thanks
ReplyDeleteKoti koti naman to respected Sahirji
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