May 15, 2011

ये किसका लहू है कौन मरा - धर्मपुत्र (1961) Yeh Kiska Lahu Hai Kaun Mara - Dharmputra (1961)

धरती की सुलगती छाती के बैचेन शरारे पूछते हैं
तुम लोग जिन्हे अपना न सके, वो खून के धारे पूछते हैं
सड़कों की जुबान चिल्लाती है
सागर के किनारे पूछते हैं -
                      ये किसका लहू है कौन मरा 
                      ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
                     ये किसका लहू है कौन मरा.

ये  जलते हुए घर किसके हैं 
ये कटते हुए तन किसके है,
तकसीम  के अंधे तूफ़ान में
लुटते हुए गुलशन किसके हैं,
बदबख्त फिजायें किसकी हैं
बरबाद नशेमन किसके हैं,

कुछ हम भी सुने, हमको भी सुना.

ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा.

किस काम के हैं ये दीन धरम
जो शर्म के दामन चाक करें,
किस तरह के हैं ये देश भगत
जो बसते घरों  को खाक करें,
ये रूहें कैसी रूहें हैं
जो धरती को नापाक करें,

आँखे तो उठा, नज़रें तो मिला.

ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा.

जिस राम के नाम पे खून बहे
उस राम की इज्जत क्या होगी,
जिस दीन के हाथों लाज लूटे
उस दीन की कीमत क्या होगी,
इन्सान की इस जिल्लत से परे
शैतान की जिल्लत क्या होगी,

ये वेद हटा, कुरआन  उठा.

ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता
ये किसका लहू है कौन मरा.

 [Music: N.Dutta;  Singer : Mahender Kapoor;    Producer : B.R.Chopra;   Director : Yash Chopra;  Actor : Rajender Kumar, Sashi Kapoor]





13 comments:

  1. ये वेद हटा, कुरआन उठा.??????//
    ये शायद ये वेद हटा, कुरआन हटा ऐसे है ?

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    1. AnonymousJune 30, 2017

      ye ved udha,ye quran utha..

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    2. quran ko zameen par utari gai thi pyare nabi par ...to yahan par phir se uppar uthane ki baat kahi gai hai.

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    3. Ji nahi ye yu hi ha
      ये वेद हटा , कुरान उठा
      यहां कवि का तात्पर्य वेद को हटाने से अर्थात वेद लिखा गया है इसलिए उसे हटाने को कहा जा रहा है । और कुरान उठाने से तात्पर्य है कि इस्लाम धर्म में कुरान नाज़िल हुआ है अर्थात आसमान से अल्लाह की तरफ से उतारा गया है इसलिए कवी कहता है यह क़ुरान उठा।
      अंत में दोनों का अर्थ समान है क्योंकि दोनों को हटाने को मांग की गई है

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  2. This is another version i came across posting it for your information. regards
    ऐ रहबरे-मुल्को-कौम बता
    आँखें तो उठा नज़रें तो मिला
    कुछ हम भी सुने हमको भी बता
    ये किसका लहू है कौन मरा…

    धरती की सुलगती छाती पर
    बेचैन शरारे पूछते हैं
    हम लोग जिन्हें अपना न सके
    वे खून के धारे पूछते हैं
    सड़कों की जुबां चिल्लाती है
    सागर के किनारे पूछते है|
    ये किसका लहू है कौन मरा…

    ऐ अज़्मे-फना देने वालो
    पैगामे-वफ़ा देने वालो
    अब आग से क्यूँ कतराते हो
    मौजों को हवा देने वालो
    तूफ़ान से अब क्यूँ डरते हो
    शोलों को हवा देने वालो
    क्या भूल गए अपना नारा
    ये किसका लहू है कौन मरा

    हम ठान चुके हैं अब जी में
    हर जालिम से टकरायेंगे
    तुम समझौते की आस रखो
    हम आगे बढ़ते जायेंगे
    हम मंजिले-आज़ादी की कसम
    हर मंजिल पे दोहराएँगे
    ये किसका लहू है कौन मरा…
    –साहिर लुधियानवी
    (1946 के नौसेना विद्रोह के समय लिखी नज़्म)

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  3. Dear Nimish, the correct line is "Ye Ved hataa kuraan utha", as I have mentioned it in the blog.

    Regarding the complete Nazm of Sahir, it was also published in his book "Talkhiyan". It consists of total 7 stanzas that I may post soon, of course below the main song only.

    As you are aware, Sahir has simplified/ modified/ abridged many of his nazm for filmy songs. I desire to post all such versions, but so far, I could do so only for "Kabhi-Kabhi" and 'Wo subah kabhi to aayegi".

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  4. Thanks for uploading this. Great job by you.
    How relevant this song is in todays situation where some miscreants try to disturb communal harmony of our nation. Let people of my country read each and every word of this poem written by great Sahirji and learn to spread love.

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  5. निमिष जिसे आपने अनेदर वर्सन कहा है, यह 1946 में ऐतिहासिक नौसैनिक विद्रोह के दौरान लिखा गया था। धर्मपुत्र फिल्म का गीत इसी पर आधारित है।
    हम लोग जिन्हें अपना न सके की जगह शायद तुम लोग जिन्हें अपना न सके हो। `तल्खि़यां` संग्रह देखना पड़ेगा।

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  6. YEH DONO INCOMLETE VERSION HAI

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  7. AnonymousJuly 01, 2017

    इतने सवालों के बाद भी हम वेद और कुरआन के सवाल पे ही अटके हैं। इंसानियत की बात कब समझ आएगी?? अफसोस है हम किस दौर में जी रहे हैं।

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  8. Veda हटा means Remove Vedas and Quran उठा means take it away. Meaning there by, to put your religions aside and thinknin terms of humanity. Sahir was is and will always remain as tge greatest human kind. He was concerned only with इंसानियत and not with any religion. Millions Salute to him.

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