April 25, 2011

Some couplets from the songs of Sahir

जाने क्या  तूने  कही
जाने क्या मैंने सुनी,
बात कुछ बन ही गयी ॥

तेरी उम्मीद पे जीने से हासिल कुछ नहीं लेकिन
अगर यूँ भी न दिल को आसरा देते तो क्या होता ॥

कौन कहता है कि चाहत पे सभी का हक़ है
तू जिसे चाहे तेरा प्यार उसी का हक़ है ॥

तुम अगर मुझ को न चाहो तो कोई बात नहीं
तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी ॥

इश्क आज़ाद है, हिन्दू न मुसलमान है इश्क
आप ही धर्म, और आप ही ईमान है इश्क ॥

हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत  तक
खुदा करे कि क़यामत हो और तू आये ॥

मैंने जज्बात निभाए हैं उसूलों की जगह
अपने अरमान पिरो लाया हूँ फूलों की जगह ॥


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