July 10, 2017

कल नई कोंपलें फूटेंगी (कभी कभी -1976) Kal nai konplen phhotengi (Kabhi Kabhi – 1976)

कल नई कोंपलें फूटेंगीकल नए फूल मुस्काएंगे
और नई घास के नए फर्श पर नए पांव  इठलाएंगे

वो मेरे बीच नहीं आएमैं उनके बीच में क्यों आऊं
उनकी सुबह और शामों का मैं एक भी लम्हा क्यों पाऊँ



(Note on Sahir :  इन दोनों शेरों को फिल्म के पहले सीन में अमिताभ बच्चन की आवाज़ में फिल्माया गया था | यह उनकी लंबी नज़्म मैं पल दो पल का शायर हूँका एक हिस्सा हैं )

1 comment: