गंगा तेरा
पानी अमृत, झर-झर बहता जाए
युग-युग से इस देश की धरती तुझसे जीवन पाए
दूर हिमालय से तू आई गीत सुहाने गाती
बस्ती-बस्ती, जंगल-जंगल सुख-संदेश सुनाती
तेरी चांदी जैसी धारा मीलों तक लहराए
कितने सूरज उभरे डूबे गंगा तेरे द्वारे
युगों-युगों की कथा सुनाएं तेरे बहते धारे
तुझको छोड़ के भारत का इतिहास लिखा न जाए
इस धरती का दुख-सुख तूने अपने बीच समोया
जब-जब देश ग़ुलाम हुआ है तेरा पानी रोया
जब-जब हम आज़ाद हुए हैं तेरे तट मुस्काए
युग-युग से इस देश की धरती तुझसे जीवन पाए
दूर हिमालय से तू आई गीत सुहाने गाती
बस्ती-बस्ती, जंगल-जंगल सुख-संदेश सुनाती
तेरी चांदी जैसी धारा मीलों तक लहराए
कितने सूरज उभरे डूबे गंगा तेरे द्वारे
युगों-युगों की कथा सुनाएं तेरे बहते धारे
तुझको छोड़ के भारत का इतिहास लिखा न जाए
इस धरती का दुख-सुख तूने अपने बीच समोया
जब-जब देश ग़ुलाम हुआ है तेरा पानी रोया
जब-जब हम आज़ाद हुए हैं तेरे तट मुस्काए
खेतों-खेतों तुझसे जागी धरती पर हरियाली
फसलें तेरा राग अलापें, झूमे बाली
बाली
तेरा पानी पी कर मिट्टी, सोने में ढल
जाए
तेरे दान की दौलत ऊंचे खलियानों में ढलती
खुशियों के मेले लगते, मेहनत की
डाली फलती
लहक लहककर धूम मचाते, तेरी गोद के जाए
गूंज रही है तेरे तट पर नवजीवन की सरगम
तू नदियों का संगम करती, हम खेतों का
संगम
यही वो संगम है जो दिल का दिल से मेल कराए
हर हर गंगे कह के दुनिया तेरे आगे झुकती
तुझी से हम सब जीवन पाएं, तुझी
से पाएं मुक्ति
तेरी शरण मिले तो मईय्या, जनम
सफल जो जाए
Which Raag is use in this song
ReplyDeleteVery nice song
ReplyDeletebest
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