May 21, 2014

मुद्दत की तमन्नाओं का सिला जज्बात को अब मिल जाने दो (काजल -1965) Muddat ki tammanaon ka sila jajbaat ko ab mil jane do (Kaajal -1965)

मुद्दत की तमन्नाओं का सिला जज्बात को अब मिल जाने दो
जिस तरह मिली है दो रूहें , उस तरह से लब मिल जाने दो |

सीने से हटा दो आँचल को, साने से झटक दो जुल्फों को
जाती हुई रंगीन घड़ियों को रुकने का सबब मिल जाने दो |

इन पाक गुनाहों की घड़ियाँ आती है मगर हर रात नहीं
इस रात में सब खो जाने दो, इस रात में सब मिल जाने दो |

[Singer : Mahender Kapoor,Composer : Ravi, Production : Kalpanalok; Direction :Ram Maheshwary, Actor : Dharmender, Padmini]
 

No comments:

Post a Comment