March 05, 2014

सीता के लिए लिखा है यही (जियो और जीनो दो - 1982) Sita ke liye likha hai yahi (Jiyo aur jino do - 1982)

चुप चुप अपनी जान पे सह जा, दुनिया के अन्याय 
कई नहीं इस धरती पे जो तेरा दर्द बटाएं ।

सीता के लिए लिखा है यही, हर युग में अग्नि परीक्षा दे 
दुःख सह के भी मुँह से कुछ न कहे, मन को धीरज की शिक्षा दे  । 

गैरों के कड़वे बोल सुने, अपनों का अत्याचार सहे 
जिस राम के संग वन वन भटके, उस राम के भी दुत्कार सुने 
धरती में सामने से पहले, धरती की तरह हर भार सहे 
सीता के लिए लिखा है यही..... 
 
पुरूषों की बनाई दुनिया में, क्या इक नारी का मान बचे 
जिस जहर से राम का मन न बचा, उस जहर से क्या इंसान बचे 
जो रीत युगों से जारी है, उस रीत से कैसे जान बचे 
सीता के लिए लिखा है यही.…… 
 
इस अंधी बहरी नगरी में जब जब सीता को आना है 
जीते जी कष्ट उठना, मरने पे सती कहलाना है
इतिहास से पन्नों को  सदियों, यूं ही ये कथा दोहराना है 
सीता के लिए लिखा है यही.…
 
[Composer : Lakshmi Kant Pyare Lal, Singer : Md. Rafi, Actor : Nutan, Danny}
 

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