March 05, 2014

मोहब्बत की नज़र जब मेहरबां मालूम होती है (सावधान -1954) Mohabbat ki nazar jab meharbaan (Savdhan -1954)

मोहब्बत की नज़र जब मेहरबां मालूम होती है
ये दुनिया खूबसूरत और जवां  मालूम होती है ।

ये कैसी आग भड़का दी है तूने मेरे सीने में
कि जो अब सांस आती है, धुंआं मालूम होती है ।

ये मस्ताना ग़ज़ल छेड़ी है जो साकी ने महफ़िल में
किसी मैकस के दिल की दास्तां मालूम होती है ।


[Composer : Vasant Desai & C. Ramchandra, Singer : Asha Bhonsle, Director: Dattatreya Jagannath Dharmadhikari]

 

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