तुम एक बार मुहब्बत का इम्तहान तो लो
मेरे जुनूं, मेरी वहशत का इम्तहान तो लो |
मेरे जुनूं, मेरी वहशत का इम्तहान तो लो |
सलाम-ए-शौक़ पे रंजिश भरा पयाम न दो
मेरे खुलूस को हिर्स-ओ-हवस का नाम न दो
मेरी वफ़ा की हक़ीकत का इम्तहान तो लो
तुम एक बार मुहब्बत का इम्तहान तो लो |
न तख़्त-ओ-ताज न लाल-ओ- गोहर की हसरत है
तुम्हारे प्यार, तुम्हारी नज़र की हसरत है
तुम अपने हुस्न की अज़मत का इम्तिहान तो लो
तुम एक बार मुहब्बत का इम्तहान तो लो |
तुम एक बार मुहब्बत का इम्तहान तो लो |
न तख़्त-ओ-ताज न लाल-ओ- गोहर की हसरत है
तुम्हारे प्यार, तुम्हारी नज़र की हसरत है
तुम अपने हुस्न की अज़मत का इम्तिहान तो लो
तुम एक बार मुहब्बत का इम्तहान तो लो |
मैं अपनी जान भी दे दूँ तो ऐतबार नहीं
के तुम से बढ़के मुझे ज़िंदगी से प्यार नहीं
यूँ ही सही, मेरी चाहत का इम्तिहान तो लो
तुम एक बार मुहब्बत का इम्तहान तो लो |
के तुम से बढ़के मुझे ज़िंदगी से प्यार नहीं
यूँ ही सही, मेरी चाहत का इम्तिहान तो लो
तुम एक बार मुहब्बत का इम्तहान तो लो |
[Composer : Roshan, Singer : Md Rafi, Director : Heman Gupta, Actor : Azra, Gajanan Jagirdar]
thanks for sharing this correct lyrics......
ReplyDeleteसाहिर साहब के नायाब बोल ! और रोशन जी की हृदय के झंकृत तारों पर लरजती अवर्णनीय कमाल की धुनें !
ReplyDeleteआज कुछ भी कह लीजिए, दे दीजिए!
एक से बढ़कर एक नायाब चीजें, तोहफे वगैरह हमारे सामने हैं।
बात करते हैं उस जमाने की जब प्यार का इजहार करना किसी सल्तनत को जीतने से क्या कम था !
समाज की बंदिशें, मजबूरियां, अमीरी - गरीबी, उसे देख पाना तक दुश्वार होता था,
बात करना तो बहुत टेढ़ी खीर थी।
ऐसे में भी लोग कर ही बैठते थे इजहारे मुहब्बत!
जो मुहब्बत किए हों या करने वाले हों!
वो भी ये सुन लें कि -
इतने हसीं, मासूम और प्यारे अंदाज में किसी ने भी प्रपोज न किया होगा !
जैसा इस गीत में लरजती,फिसलती,ना
जुक, मदहोश आवाज में कितने ख्वाब भरे,मासूम और आसमां को छूते लफ्जों में महान अमर गायक मो.रफी साहब ने गाया है !
उसे फिर कभी कोई हजारों बरस बाद भी नहीं गा सकेगा !
सुनिए तो ये हजारों गीतों में आपके लिए चुना हुआ नायाब कोहिनूर गीत!
Second stanza second line is not correct that starts with "mere khuloos ko..."
ReplyDeleteहिर्स~ओ~हवस
DeleteIn addition to second para second line , in one version second line in third para was 'mere junoo ko kahan inki sabki fursat hai.
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