This is a humble collection of songs of Sahir Ludhianvi, the greatest lyricist, Bollywood has ever seen. Sahir used his songs for spreading message of love for humankind through philosophical notes or social commentary. He also used some of his ghazals & nazms in his movies also by simplifying them.
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अम्मा इक रोटी दे, बाबा इक रोटी दे
भूखे बच्चे मांग रहें हैं कब से हाथ पसार के
अम्मा इक रोटी दे, बाबा इक रोटी दे ।
एक नहीं तो आधी दे दे, आधा पेट ही भर लेंगे
रूखी सूखी जो भी मिलेगी, खा के गुजरा कर लेंगे
सब खातें हैं और हम कब से खड़े हैं मन को मार के
अम्मा इक रोटी दे, बाबा इक रोटी दे ।
दूध मलाई न मांगे हम, लड्डू पेड़ा न मांगे
रोटी का टुकड़ा दिलवा दो, रुपया पैसा न मांगे
छोटा सा ये पेट हमारा कब से कहे पुकार के
अम्मा इक रोटी दे, बाबा इक रोटी दे ।
तुने या तेरे बच्चो ने जो भी जूठा छोड़ा हो
पास बुला कर दे दे हम को, बहुत हो चाहे थोडा हो
कुछ तो दे दो यूँ ही न लौटा देना दुत्कार के
अम्मा इक रोटी दे, बाबा इक रोटी दे ।
[Composer : Ravi, Singer : Lata Mangeshkar, Usha Mangeshkar, Producer : Gemini Arts, Director : V.Madhusudan Rao]
मचल रही है जिंदगी, संवर रही है जिंदगी बदल रही है जिंदगी ।
[Composer : G. D. Kapoor, Director : Lalit Chandra
Mehta, Producer : Hindustan Kala Mandir]
Note on Sahir : I could not get the video or audio of this song, but lyrics were available in a great website on work of Sahir : www.sahir-ludhianvi.com. I picked it up from there.
This is the first movie of Sahir, in which he wrote four songs.
(1)Badal rahi hai jindagi
(2)Bhaarat jananii terii jai ho jai ho
(3)Jaag uthaa hai hindustaan
(4)Mere charkhe men jeevan kaa raag
sakhii
This movie has two more songs, but they are by other lyricists. By the
time (1948) the movie was completed and released, partition took place and
Sahir’s work went unnoticed. Sahir had
to leave India to see his mother who had shifted to Lahore. Sahir stayed in
Lahore for one and half year, but came back to India, when he heard that he
might get arrested for the articles he wrote against Pakistan Government.
किसी के वादे पे क्यूँ ऐतबार हमने किया न आने वालों का क्यूँ इंतज़ार हमने किया न वो हमारे हुये और न हम रहे अपने मुहब्बतों का अजबकारोबारहमने किया वो खेल खेल रहे थे, वो खेल खेल चुके ख़ता हमारी थी क्यूँ उनसे प्यार हमने किया बिछड़ के उनसे न जब दिल किसी तरह बदला शराबख़ाने का रुख़ इख़्तियार हमने किया [Composer :
R.D.Burman, Singer : Asha Bhonsle , Producer:
B.R.Chopra, Director : Ravi Chopra]
हज़ार ख्वाब हकीकत का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है के तुम मुस्कुरा के हाँ कह दो ।
मुहब्बतों में है दोनों का एक ही मतलब
अदा से न कहो या मुस्कुरा के हाँ कह दो ।
हज़ार ख्वाब बहारों के और सितारों के
तुम्हारे साथ मेरी जिंदगी में आये हैं,
तुम्हारी बाहों के झूले में झूलने के लिए
मचल-मचल के मेरे अंग गुनगुनाये हैं ।
ये सारे शौक, सारे शौक, सदाक़त का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है के तुम मुस्कुरा के हाँ कह दो ।
भरेगी मांग तुम्हारी वो दिन भी क्या होगा
सजेगी सेज हवाओं की सांस महकेगी
तुम अपने हाथों से सरकाओगे मेरा आँचल
अजब आग मेरे तन बदन में दहकेगी
ये सारे शौक, सारे शौक, सदाक़त का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है के तुम मुस्कुरा के हाँ कह दो ।
मैं अपनी जुल्फों के साये बिछाऊंगी तुम पर
मैं तुमपे अपनी जवान धड़कने लुटाऊंगा
मैं सुबह तुमको जगाऊंगी लब पे लब रखकर
मैं तुमको भींच के कुछ और पास लाऊंगा
ये सारे शौक, सारे शौक, सदाक़त का रूप ले लेंगे
मगर ये शर्त है के तुम मुस्कुरा के हाँ कह दो ।
मुहब्बतों में है दोनों का एक ही मतलब
अदा से न कहो या मुस्कुरा के हाँ कह दो । हज़ार ख्वाब हकीकत का रूप ले लेंगे ।