May 26, 2018

आज सजन मोहे अंग लगा लो, जनम सफ़ल हो जाये (प्यासा- 1957) Aaj sajan mohe ang laga lo, janam safal ho jaye (Pyaasa- 1957)


सखी री बिरह के दुखड़े सह-सह कर जब राधे बेसुध हो ली
तो इक दिन अपने मनमोहन से जा कर यूँ बोली

आज सजन मोहे अंग लगा लो, जनम सफ़ल हो जाये
हृदय की पीड़ा देह की अगनी, सब शीतल हो जाये

कई जुग से हैं जागे, मोरे नैन अभागे, कहीं जिया नहीं लागे बिन तोरे
सुख दिखे नहीं आगे, दुःख पीछे पीछे भागे, जग सूना सूना लागे बिन तोरे
प्रेम सुधा मोरे साँवरिया इतनी बरसा दो जग जलथल हो जाये
आज सजन मोहे अंग लगा लो, जनम सफ़ल हो जाये

मोहे अपना बना लो मोरी बाँह पकड़, मैं हूँ जनम जनम की दासी
मोरी प्यास बुझा दो मनहर गिरिधर, मैं हूँ अन्तरघट तक प्यासी
प्रेम सुधा मोरे साँवरिया इतनी बरसा दो जग जलथल हो जाये
आज सजन मोहे अंग लगा लो, जनम सफ़ल हो जाये

किए लाख जतन, मोरे मन की तपन, मोरे तन की जलन नहीं जाये
कैसी लागी ये लगन, कैसी जागी ये अगन, जिया धीर धरन नहीं पाये
प्रेम सुधा मोरे साँवरिया इतनी बरसा दो जग जलथल हो जाये
आज सजन मोहे अंग लगा लो, जनम सफ़ल हो जाये

[Composer : S.D.Burman;  Singer :  Geeta Dutt  Producer/Director : Guru Dutt;   Actor : Guru Dutt,  Wahida Rehman}


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