August 02, 2017

मैंने एक ख़्वाब सा देखा है (वक़्त -1965) Maine ik khwab sa dekha hai (Waqt -1965)

मैंने एक ख़्वाब सा देखा है
सुन के शरमा तो  जाओगी?

मैंने देखा है कि फूलों से लदी शाखों में    
तुम लचकती हुई यूं मेरी क़रीब आई हो
जैसे मुद्दत से यूं ही साथ रहा हो अपना
जैसे अब की नहीं सदियों की शनासाई हो

      मैंने भी ख़्वाब सा देखा है
      खुद से इतरा तो  जाओगे?

      मैंने देखा कि गाते हुए झरनों के क़रीब
      अपनी बेताबी--जज़्बात कही है तुमने
      कांपते होंठों सेरुकती हुई आवाज़ के साथ
      जो मेरे दिल में थीवो बात कही है तुमने

आंच देने लगा क़दमों के तले बर्फ़ का फ़र्श
आज जाना कि मुहब्बत में है गर्मी कितनी
संगमरमर की तरह सख़्त बदन में तेरे
 गयी है मेरे छू लेने से नर्मी कितनी      

       हम चले जाते हैं और दूर तलक कोई नहीं
       सिर्फ़ पत्तों के चटखने की सदा आती है     
       दिल में कुछ ऐसे ख़यालात ने करवट ली है
       मुझको तुमसे नहीं अपने से हया आती है

मैंने देखा
 है कि कोहरे से भरी वादी में
मैं ये कहता हूं चलो आज कहीं खो जाएं 
      मैं ये कहती हूं कि खोने की ज़रूरत क्या है
      ओढ़कर धुंध की चादर को यहीं सो जाएं

[Composer : Ravi; Singer : Asha Bhonsle, Mahendra Kapoor; Producer : B.R.Chopra; Director : Yash Chopra; Actor : Sunil Dutt, Sadhna] 



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